0 सर्वे टीम पर कोई कार्यवाही नहीं

0 कोरबा जिला प्रशासन ने पहली बार इस तरह के घोटाले में उठाया कदम

0 दीपका विस्तार परियोजना हेतु अधिग्रहित की गई थी भूमि

कोरबा। एसईसीएल की दीपका विस्तार परियोजना हेतु ग्राम मलगांव में चिन्हाकित भूमि पर स्थिति परिसंपत्तियों के सर्वेक्षण के दौरान मुआवजे के लिये तैयार सूची में लगभग 152 मकान के काल्पनिक होने का खुलासा हुआ है। जिला प्रशासन ने एक प्रेस नोट जारी करके बताया है कि कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर एसडीएम कटघोरा रोहित सिंह, राजस्व अमला तथा एसईसीएल दीपका के अधिकारियों की टीम द्वारा जांच किये जाने पर यह गड़बड़ी सामने आयी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कटघोरा एसडीएम ने एसईसीएल दीपका के मुख्य महाप्रबंधक को पत्र लिखकर मलगांव के काल्पनिक मकान के मुआवजे को निरस्त करने के निर्देश दिए हैं।

क्या है मामला..?

इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, कटघोरा से प्राप्त जानकारी के अनुसार दीपका विस्तार परियोजना हेतु कोयला धारक क्षेत्र (अर्जन एवं विकास) अधिनियम 1957 के प्रावधानों की धारा 9 (1) की अधिसूचना क. 3095 दिनांक 24.11.2004 के तहत एस.ई.सी. एल. दीपका द्वारा ग्राम मलगांव की 63.795 हेक्टेयर जमीन का अर्जन किया गया था। उपरोक्त उल्लेखित भूमि पर स्थित परिसम्पत्तियों का सर्वेक्षण वर्ष 2022-23 में इस कार्य हेतु गठित दल ने एस.ई.सी.एल. दीपका में पदस्थ कर्मचारियों के सहयोग से पूर्ण किया था। सर्वेक्षण के दौरान कुल 1638 मेजरमेंट बुक तैयार किये गए थे, उक्त मेजरमेंट बुक के आधार पर मुआवजे के लिए गणना पत्रक तैयार किया गया था।

SECL प्रबंधन ने दी गड़बड़ी की जानकारी

मई 2025 में ग्राम मलगांव में स्थित परिसम्पत्तियों को हटाकर पूर्णतः विस्थापित किये जाने के दौरान यह ज्ञात हुआ कि मेजरमेंट बुक के अनुसार भौतिक रूप से परिसंपत्तियां उपलब्ध नहीं है। इस संबंध में एसईसीएल दीपका के द्वारा 78 ऐसे मकानों की सूची उपलब्ध कराई गई, जो मौके पर मिले ही नहीं, अर्थात काल्पनिक मकान है।

गूगल अर्थ की फोटो से भी हुआ खुलासा

इसी प्रकार विस्थापन के दौरान मौके पर उपस्थित राजस्व अधिकारी / कर्मचारी द्वारा 74 मकानों की सूची जिसमें वर्ष 2018 से 2022 के गूगल अर्थ की फोटो संलग्न की गई। गूगल अर्थ की फोटो के अवलोकन से स्पष्ट रूप से पाया गया कि उक्त 74 मकान भी मौके पर स्थित नहीं हैं, अर्थात काल्पनिक मकान है।

कुल 152 मकान गायब मिले

1638 मेजरमेंट बुक के आधार पर तैयार किये गए गणना पत्रक में प्रथम दृष्टया कुल 152 मकान काल्पनिक मकान के रूप में पाये गये, जिनकी गणना गलत मेजरमेंट बुक के आधार पर की गई है।

SDM ने SECL प्रबंधन को लिखा पत्र

एसडीएम कटघोरा ने एसईसीएल दीपका के मुख्य महाप्रबंधक को पत्र लिखकर 152 काल्पनिक मकानों की परिसम्पत्तियों को भुगतान किसी भी परिस्थिति में नहीं करने और यदि किसी मकान का भुगतान कर दिया गया है तो संबंधितों से वसूली की कार्यवाही प्रारंभ कर 15 दिवस के भीतर राशि वसूल करने, साथ ही सभी काल्पनिक मकानों की परिसंपत्तियों का मुआवजा निरस्त करने की प्रक्रिया 03 दिवस में पूर्ण कर एसडीएम कार्यालय कटघोरा को निरस्त मुआवजा राशि के साथ अवगत कराना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

जब CBI ने जांच शुरू की…..

बता दें कि कोयला खदानों के लिए जमीनों के अधिग्रहण के दौरान इस तरह की हेराफेरी पहले भी होती रही है, मगर राजस्व अमले और SECL के अफसरों की मिलीभगत से इस तरह की गड़बड़ियाँ उजागर नहीं हो पाती थीं, मगर इस बार ग्रामीणों ने इसकी शिकायत CBI से कर दी, जिसके बाद CBI की टीम ने कुछ महीने पहले छापेमारी की और जांच शुरू कर दी। तब जाकर SECL प्रबंधन की आँख खुली। SECL के अफसरों ने बारीकी से जांच की। तब पता चला कि 78 मकान अस्तित्व में ही नहीं थे। SECL प्रबंधन ने ज़ब इसकी सूची जिला प्रशासन को दी तब प्रशासन भी हरकत में आया।

दरअसल मेजरमेंट करने वाली सर्वे टीम द्वारा रिपोर्ट के साथ गूगल अर्थ की तस्वीरें भी दी जाती है। कलेक्टर के निर्देश पर कटघोरा SDM रोहित सिंह और उनकी टीम ने गांव जाकर वस्तुस्थिति का पता लगाया और गूगल अर्थ की तस्वीरों से मिलान किया तब पता चला कि 74 और मकान अस्तित्व में नहीं हैं। इस तरह कुल 152 मकान गायब पाए गए और सर्वे टीम ने फर्जी तरीके से इन मकानों का होना बताकर मुआवजा तैयार कर दिया।

मेजरमेंट टीम पर कब होगी कार्यवाही..?

जिला प्रशासन ने इस गड़बड़ी का खुलासा तो किया है मगर मलगांव में परिसंपत्तियों का मेजरमेंट करने वाली टीम पर अब तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है। इस संबंध में पूछे जाने पर कटघोरा SDM रोहित सिंह कोई भी जानकारी देने से बचते हुए कहते हैं कि SECL प्रबंधन इस टीम के बारे में जानकारी देगा, तब वे बता सकेंगे। सच तो ये है कि SDM द्वारा ही तहसीलदार की अध्यक्षता में मेजरमेंट टीम का गठन किया जाता है। इस टीम में SECL प्रबंधन द्वारा नामित अफसर के अलावा पटवारी, PWD, PHE, वन विभाग और कृषि विभाग के अफसर भी शामिल किये जाते हैँ, जो कोयला खदान के लिए अधिग्रहित गांवों में जाकर सर्वे करते हैं और प्रभावितों का मुआवजा तैयार करते हैं। बता दें की इस गड़बड़ी के दौरान के पी तेंदुलकर कटघोरा के SDM थे।

ग्रामीण बताते हैं कि कभी भी पूरी टीम सर्वे के लिए नहीं आती। अमूमन SECL के अफसर पटवारी और कुछ अन्य सहयोगी स्टॉफ के साथ मेजरमेंट तैयार करते हैं, और आखिरी में पूरी टीम के हस्तक्षर करवा प्रशासन को रिपोर्ट सौंप देते हैं। ऐसे में गड़बड़ी होना तय हैं।

अधिकांश को मिल गया है मुआवजा

सबसे अहम् बात यह हैं कि जिन मकानों को गायब बताया गया गया है, उनके तथाकथित मालिकों ने मुआवजा उठा लिया हैं। दरअसल इस तरह का फर्जी रिपोर्ट तैयार करवाने वालों ने अपना मुआवजा पहले ही ले लिया है, जबकि सही लोगों ने मुआवजा बढ़ने के इंतजार में रकम नहीं उठाई, इस बीच गड़बड़ी की सुगबुगाहट होने पर मुआवजा रोक दिया गया। अब फर्जी लोगों से मुआवजा वसूल करना SECL प्रबंधन के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा।

बहरहाल ऐसा नजर आ रहा है कि इस घोटाले में भी अफसरों को बचाने का प्रयास हो रहा है। क्या इस मामले में कार्रवाई CBI कार्रवाई करेगी या फिर प्रशासन कोई कदम उठाएगा, इसका सभी को इंतजार रहेगा।