टीआरपी डेस्क। वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात उस वक्त हड़कंप मच गया जब छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति एक्सप्रेस (12824) को बम की सूचना के बाद प्लेटफॉर्म पर रोका गया और सुरक्षा बलों ने ट्रेन को चारों ओर से घेरकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया।

दिल्ली से चलने के महज 10 मिनट बाद रेलवे हेल्पलाइन पर बम की सूचना दी गई थी, इसके बावजूद ट्रेन लगभग 400 किलोमीटर तक बिना रोक-टोक चलती रही। झांसी पहुंचने के बाद ट्रेन के सभी कोच खाली कराकर डॉग स्क्वायड और बम निरोधक दस्ते ने पूरी ट्रेन की तलाशी ली। करीब 50 मिनट की जांच के बाद बम की सूचना अफवाह निकली और सभी ने राहत की सांस ली।

दिल्ली से मिली सूचना, झांसी तक चलता रहा जोखिम

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जाने वाली यह ट्रेन शाम 5:55 बजे हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से रवाना हुई थी। करीब 6:05 बजे किसी अज्ञात व्यक्ति ने हेल्पलाइन ‘रेल मदद’ पर फोन कर दावा किया कि ट्रेन के स्लीपर कोच में बम है।
कॉलर ने खुद को रेलयात्री बताया, लेकिन जब तक यह सूचना अधिकारियों तक पहुंची, तब तक ट्रेन स्टेशन से निकल चुकी थी।

दिल्ली से झांसी के बीच फरीदाबाद, मथुरा, आगरा, धौलपुर और ग्वालियर जैसे प्रमुख स्टेशन पड़े, मगर कहीं भी ट्रेन को नहीं रोका गया। सुरक्षा एजेंसियों को झांसी स्टेशन पर ही सर्च ऑपरेशन की योजना बनानी पड़ी।

झांसी में सुरक्षा व्यवस्था सख्त, स्टेशन बना छावनी

रेलवे ने उत्तर प्रदेश जीआरपी मुख्यालय, लखनऊ को तुरंत सूचना दी, जिसके बाद लखनऊ से झांसी तक सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर आ गईं। ट्रेन रात 11:31 बजे, अपने निर्धारित समय से 9 मिनट की देरी से जैसे ही झांसी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर पहुँची, वहां मौजूद अधिकारियों ने कमान संभाल ली।

सिटी मजिस्ट्रेट प्रमोद झा, एसपी सिटी ज्ञानेंद्र कुमार, आरपीएफ कमांडेंट विवेकानंद नारायण, और स्टेशन डायरेक्टर सीमा तिवारी के नेतृत्व में आरपीएफ, जीआरपी, बम स्क्वायड और डॉग स्क्वायड की टीमें तुरंत कार्रवाई में जुट गईं। ट्रेन के सभी कोच खाली कराए गए और यात्रियों का सामान प्लेटफॉर्म पर उतारकर जांच की गई।

50 मिनट तक चला तलाशी अभियान, नहीं मिला कोई संदिग्ध सामान

सुरक्षा बलों ने ट्रेन के 22 कोचों की गहन जांच की, जिसमें 6 स्लीपर कोच, 5 थर्ड एसी, 1 थर्ड एसी इकोनॉमी, 3 फर्स्ट और सेकंड एसी, और 5 जनरल व दिव्यांग कोच शामिल थे। ट्रेन में एक पैंट्रीकार भी मौजूद था।
करीब 50 मिनट तक चले ऑपरेशन के दौरान कोई भी संदिग्ध वस्तु या बम नहीं मिला। इसके बाद ट्रेन को रात 12:24 बजे आगे के लिए रवाना किया गया।

1700 से अधिक यात्रियों की जान रही खतरे में

इस ट्रेन में करीब 1700 से अधिक यात्री सवार थे, जिनकी जान लगभग 400 किलोमीटर तक एक अनजान खतरे के साए में रही। घटना के बाद रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था और अलर्टनेस पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। बम की सूचना के बावजूद ट्रेन को रास्ते में न रोकना गंभीर लापरवाही माना जा रहा है।

अफवाह फैलाने वाले की तलाश जारी

बम की फर्जी सूचना देने वाले कॉलर की तलाश अब तेज़ कर दी गई है। कॉल किस नंबर से आया, उसकी लोकेशन और पहचान के लिए सुरक्षा एजेंसियां टेक्निकल सर्विलांस की मदद ले रही हैं। रेलवे प्रशासन इसे गंभीर सुरक्षा उल्लंघन मानते हुए कॉलर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है।

सवालों के घेरे में रेलवे की कार्रवाई

रेल और सुरक्षा अधिकारियों ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए स्वीकार किया कि कॉल आने के मात्र 10 मिनट बाद ही पूरी सूचना लखनऊ जीआरपी तक पहुंच गई थी। फिर भी ट्रेन को रास्ते में नहीं रोका गया। अब इस पूरे घटनाक्रम की जांच के आदेश दिए गए हैं, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि ट्रेन को 400 किलोमीटर तक जोखिम में क्यों दौड़ाया गया।