टीआरपी डेस्क। देश की राजधानी हर साल सर्दियों में प्रदूषण के धुएं में खो जाती है और इसका गंभीर परिणाम दिल्ली वालों को भुगतना पड़ता है। इसके मद्देनजर सर्दियों के मौसम में बढ़ते प्रदूषण पर काबू करने के उपायों के तहत इस बार भी दिवाली पर हर तरह के पटाखों के भंडारण, बिक्री एवं उपयोग पर इस बार दिल्ली की केजरीवाल सरकर ने बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री अरविंद ने राजधानी में दिवाली पर हर तरह के पटाखों के भंडारण, बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।

कर सकते है केंद्रीय मंत्री से मुलाकात
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने राजधानी में प्रदूषण पर काबू करने के उपायों पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात का समय मांगा। इस संबंध में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री के सचिव ने केंद्रीय मंत्री के निजी सचिव को एक पत्र लिखा है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बुधवार को ट्वीट कर बताया कि पिछले 3 साल से दिवाली के समय दिल्ली के प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए पिछले साल की तरह इस बार भी हर प्रकार के पटाखों के भंडारण, बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा रहा है, जिससे लोगों की जिंदगी बचाई जा सके।
प्रदूषण की गंभीरता को ध्यान में रख उठाया ये कदम
दूसरे ट्वीट में केजरीवाल ने कहा कि पिछले साल व्यापारियों द्वारा पटाखों के भंडारण के पश्चात प्रदूषण की गंभीरता को देखत हुए देर से पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था जिससे व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ था। सभी व्यापारियों से अपील है कि इस बार पूर्ण प्रतिबंध को देखते हुए किसी भी तरह के पटाखों का भंडारण न करें।
"Just like last year, there will be a complete ban on storage, sale, and bursting of all kinds of firecrackers this year too, in wake of the situation of pollution in Delhi during Diwali in the last three years," tweets Delhi CM Arvind Kejriwal. pic.twitter.com/5bh87eZbbe
— ANI (@ANI) September 15, 2021
बायो-डीकम्पोजर का किया जाएगा उपयोग
केजरीवाल ने सोमवार को कहा था कि वह पूसा बायो-डीकम्पोजर की ऑडिट रिपोर्ट के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात करेंगे और उनसे किसानों के बीच इसे मुफ्त वितरित करने के लिए दिल्ली के आसपास के राज्यों को निर्देश देने का आग्रह करेंगे। पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पिछले साल कहा था कि पूसा बायो-डीकम्पोजर का पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में उपयोग किया जाएगा और अगर यह तकनीक सफल होती है तो और क्षेत्रों में इसका विस्तार किया जाएगा।
बायो-डीकम्पोजर एक प्रकार का तरल पदार्थ है जो 15-20 दिनों में पराली को खाद में बदल सकता है। उन्होंने कहा था कि एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा कराए गए ऑडिट में पूसा बायो-डीकम्पोजर का उपयोग काफी प्रभावी पाया गया है। दिल्ली सरकार ने पिछले साल यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार तरल पदार्थ का प्रयोग किया था।
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