एजुकेशन डेस्क। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए लॉकडाउन जारी किया गया था जिसका सबसे ज्यादा असर आर्थिक तंगी पर पड़ा है।

अब इसका नतीजा यह कि पहली बार सरकारी स्कूलों में प्रवेश लेने वाले 6-14 साल के बच्चों की संख्या बढ़कर 2021 में 70.3% तक पहुंच गई। 2018 में यह 64.3% थी। वहीं, निजी स्कूलों में एडमिशन लेने वालों की संख्या घटकर 24.4% पर सिमट गई, जो 2018 में 32.5% थी। इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह रही आर्थिक तंगी। क्योंकि, सबसे ज्यादा 62.5% मामलों में अभिभावकों ने पैसों की कमी के कारण स्कूल बदला।
इन राज्यों में बढ़ रहे सरकारी स्कूलों में एडमिशन
यूपी के सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन सबसे ज्यादा करीब 13% बढ़ा। इस सूची में केरल (11.9%) दूसरे, तमिलनाडु (9.6%) तीसरे और राजस्थान (9.4%) चौथे नंबर पर रहा। देश के 25 राज्यों, 581 जिलों और 3 केंद्रशासित राज्यों के 17,184 गांवों में स्थित 7,299 स्कूलों के सर्वे असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2021) में यह बात सामने आई है। सर्वे सितंबर-अक्टूबर 21 के दौरान किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक पहली और दूसरी कक्षा के करीब 36% बच्चों ने अभी स्कूल ही नहीं देखा है।
इस हाल पर पहुंची स्थिति
निजी स्कूलों के नामांकन में पहली बार 2020 से कमी आई। तब यह 6-14 आयु वर्ग में 2018 के 32.5% से लुढ़ककर 28.8% पर आ गया। इससे पहले 2006 से 2014 के बीच इसमें लगातार बढ़ोतरी हुई। 2018 तक यह 30% के आस-पास रहा। अब यह फिर 2010 के स्तर (25%) के पास आ गया है। वहीं, सरकारी स्कूलों में नामांकन 2006 से 2018 तक लगातार गिरा, फिर 65% पर स्थिर हो गया। 2021 में पहली बार 70% के पार हुआ।
बदलाव के 5 बड़े कारण
- 62.4% आर्थिक तंगी
- 49.1% मुफ्त सुविधाएं
- 40.4% पढ़ाई नहीं होना
- 15.5% पलायन
- 5.3% शादी/रोजगार
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