सिनेमा की दुनिया में बेशक बॉलीवुड और साउथ की बहस कम हो गई है लेकिन बॉक्स ऑफिस पर अब भी साउथ की एक छोटे बजट की फिल्म का डंका बज रहा है। कुछ करोड़ में बनी साउथ की ‘कंतारा’ बॉलीवुड के साथ ही साउथ की बड़ी फिल्मों को करारी मात दे चुकी है। बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट में बीते कई दिनों से ‘कांतारा’ सबसे ज्यादा कमाई करती दिखी है।


कांतारा
साउथ की छोटे बजट की फिल्म ‘कांतारा’ का तूफान बॉक्स ऑफिस पर धमने का नाम नहीं ले रहा है। इस फिल्म को महज 16 करोड़ की लागत के साथ बनाया गया था लेकिन इस फिल्म ने अपनी लागत से कई गुना कमाई कर ली है। साउथ के साथ-साथ हिंदी में भी इस फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार ‘कांतारा’ ने 21वें दिन छह करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है। इस फिल्म का कुल कारोबार 140 करोड़ रुपये हो चुका है।

क्या है कांतारा की कहानी
कांतारा की कहानी कर्नाटक के दक्षिणी इलाके पर बसे एक काल्पनिक गांव की पृष्ठभूमि पर आधारित है। फिल्म में ऋषभ शेट्टी ने कंबाला चैंपियन कादुबेट्टू शिवा का किरदार निभाया है। फिल्म कर्नाटक के कुछ क्षेत्रीय रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक मान्यताओं के विषय पर बात करती है जिसे अद्भुत तरीके से दर्शाया गया है। हालांकि इस फिल्म को बनाने से पहले ऋषभ शेट्टी आलोचनाओं और लोगों की धार्मिक भावनाओं के आहत होने को लेकर चिंतित थे।

कांतारा लोक कथाओं से प्रेरित है। यहां एक राजा के पास सब कुछ है, मगर सुख-शांति नहीं है। वह इसकी तलाश में निकल कर एक गांव में पहुंचता है, जहां पत्थर के रूप में मौजूद ग्राम देवता के दर्शन के साथ ही उसे असीम शांति की अनुभूति होती है. सुख मिलता है।

राजा देवता को अपने महल में ले जाना चाहता है, तब देवता एक मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके राजा से सवाल करता है कि मुझे यहां से ले तो जाओगे, बदले में गांव वालों को क्या दोगे। राजा कहता है कि जो आप कहेंगे।तब देवता कहता है तुम जोर से इन जंगलों में आवाज लगाओ और जहां तक तुम्हारी आवाज जाएगी, वहां तक की जमीन इन गांव वालों की. राजा ऐसा ही करता है और जहां तक उसकी आवाज जाती है, वहां तक की जमीन, जंगल-नदियां गांव वालों के हो जाते हैं। मगर सौ साल बीत जाते हैं और राजा के आधुनिक वंशज कहते हैं कि उनके पुरखे ने बेवकूफी करते हुए अपनी जमीन गांव वालों को दी। वे लोग गांव की जमीन वापस चाहते हैं और यहां से एक बेहद रोचक कहानी शुरू होती है।