टीआरपी डेस्क। तेलंगाना सरकार ने अडाणी ग्रुप के ₹100 करोड़ के डोनेशन को ठुकरा दिया है, जो राज्य में यंग इंडिया स्किल यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए प्रस्तावित था। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अडाणी ग्रुप के खिलाफ चल रहे विवादों का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया। उनका कहना है कि इस दान को स्वीकार करने से राज्य सरकार की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। सरकार ने अडाणी ग्रुप को इस संबंध में आधिकारिक पत्र भी भेज दिया है।

अडाणी ग्रुप पर लगे गंभीर आरोप
अडाणी ग्रुप पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में दायर मामले में अडाणी और उनके भतीजे सागर अडाणी समेत आठ लोगों पर 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत देकर सोलर प्रोजेक्ट्स हासिल करने का आरोप है। इन आरोपों के चलते तेलंगाना सरकार ने ग्रुप से दूरी बनाते हुए उनके डोनेशन को अस्वीकार कर दिया।
अडाणी फाउंडेशन को भेजी गई चिट्ठी
तेलंगाना के विशेष मुख्य सचिव जयेश रंजन ने अडाणी फाउंडेशन की चेयरपर्सन प्रीति अडाणी को एक आधिकारिक पत्र लिखा। इसमें स्पष्ट किया गया कि सरकार यूनिवर्सिटी के लिए अडाणी ग्रुप की सहायता स्वीकार नहीं करेगी। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि सरकार ने यूनिवर्सिटी के लिए किसी कंपनी से अब तक फंड नहीं लिया है, और राज्य सरकार पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी रखना चाहती है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
इस मामले ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अडाणी ग्रुप पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अडाणी को बचा रहे हैं। राहुल ने सवाल उठाया कि 2200 करोड़ की रिश्वत के आरोपों के बावजूद भारत में अडाणी पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। इसके जवाब में भाजपा ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि वह खुद जमानत पर हैं और प्रधानमंत्री की छवि खराब करने का प्रयास कर रहे हैं।
अडाणी ग्रुप को भारी नुकसान
अडाणी ग्रुप पर लगे आरोपों का असर उनकी कंपनियों के शेयरों पर भी पड़ा। 21 नवंबर को अडाणी ग्रुप के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई। एक ही दिन में उनकी नेटवर्थ ₹1.02 लाख करोड़ कम हो गई। अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 23.44% गिरा, जबकि अडाणी ग्रीन एनर्जी के शेयर में 18.95% की गिरावट दर्ज की गई।
तेलंगाना का स्पष्ट संदेश
तेलंगाना सरकार ने अडाणी ग्रुप से जुड़ने से इंकार कर यह संदेश दिया है कि राज्य की छवि और पारदर्शिता उसके लिए सर्वोपरि है। इस फैसले ने राज्य के राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में नई बहस छेड़ दी है।