राजनांदगांव। राजनांदगांव के 8वीं बटालियन में चल रहे पुलिस भर्ती प्रक्रिया में तैनात आरक्षक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आरक्षक का नाम अनिल रत्नाकर है, जो खैरागढ़-गंडई-छुईखदान जिले के जालबांधा थाने में पदस्थ है। मूलतः अनिल महासमुंद जिले के सराईपाली का रहने वाला है। लालबाग थाने के टीआई ने बताया कि आरक्षक ने बीती रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मामले की जांच की जा रही है और फिलहाल मौत का कारण अस्पष्ट है।

जानकारी के अनुसार, पिछले दिनों पुलिस भर्ती में कथित अनियमितताओं की बात सामने आई थी, जिसके बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। भर्ती प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों ने इन गड़बड़ियों की शिकायत एसपी से की थी। मामले की जांच डीएसपी तनुप्रिया ठाकुर को सौंपी गई। जांच में उन्होंने पाया कि एक अभ्यर्थी को अनुचित ढंग से लाभ पहुंचाने तकनीकी टीम, पुलिस स्टाफ एवं अन्य कुछ लोग की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कराया था।
सूत्रों के हवाले से यह बात सामने आई कि आरक्षक भर्ती के दौरान लेन-देन में 14 आरक्षक संलिप्त थे, जिन्हें संदेह के दायरे में रखा गया था। इनमें से एक आरक्षक अनिल रत्नाकर था, जिसने बीती रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। खबर यह भी है कि शुरूआती जांच के दौरान पुलिस को कुछ ऐसे सबूत मिले जो आरक्षक के खिलाफ थे और इसी बात को लेकर वह कुछ दिनों से तनाव में चल रहा था।
भूपेश बघेल ने उठाया सवाल…
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर मामले की सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि राजनांदगांव में ग्राम घोरदा के खेत में आरक्षक अनिल रत्नाकर की फांसी के फंदे से लाश लटकी मिली है। आरक्षक के तार पुलिस भर्ती घोटाले से जुड़े होना बताया जा रहा है। सवाल यह है कि क्या यह हत्या है या आत्महत्या? क्या इसमें कोई “बड़े खिलाड़ी” शामिल हैं? किसी और को बचाने के लिए किसी और की बलि ली जा रही है? मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को इस घोटाले और हत्या की जांच सीबीआई से करवानी चाहिए।