नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने खुद कर लिया 27 करोड़ का नुकसान
रायपुर। नगर निगम में 27 करोड़ रुपये के यूनिपोल घोटाले का मामला फिर से सुर्खियों में है। आरोप है कि निगम अधिकारियों ने विज्ञापन एजेंसियों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किए, जिससे नगर निगम को भारी राजस्व नुकसान हुआ।

बता दें कि यूनिपोल घोटाला अब शहर के लिए जानलेवा बनते जा रहा है। अधिकारियों ने अपनी मनमानी के चलते शहर की सूरत तो बिगड़ दी है साथ ही राजधानीवासियों की सुरक्षा भी ताक पर रख दी गई है। विज्ञापन एजेंसी और नगर निगम के अधिकारियों ने इस घोटाले को बड़ी ही चालाकी से रचा है।
कैसे हुआ घोटाला?
शहर में नागरिक सुविधाएं बढ़ाने और नगर निगम का राजस्व बढ़ाने के लिए 18 जगहों पर स्मार्ट टॉयलेट बनाने की योजना थी। इसके तहत विज्ञापन एजेंसियों को टॉयलेट के साथ यूनिपोल लगाने की अनुमति दी गई। लेकिन एजेंसियों ने नियमों को ताक पर रखकर जहां टॉयलेट बनाए, वहां यूनिपोल नहीं लगाए। इसके बजाय दूसरी जगह यूनिपोल लगा दिए। नियमानुसार शहर में 36 यूनिपोल लगने थे, लेकिन 51 यूनिपोल लगाए गए। इस मनमानी से नगर निगम को न सिर्फ नुकसान हुआ, बल्कि शहर की सूरत भी खराब हो गई।
इतना ही नहीं शहर में कुल 36 यूनीपोल लगने थे लेकिन शहर में 51 यूनिपोल लगाए गए। इसी तरह जनता को सुविधा देने के नाम पर बस स्टॉप की आड़ में भी विज्ञापन घोटाले की साजिश रची गई।
बस स्टॉप का खेल
इसी तरह, बस स्टॉप बनाने की जिम्मेदारी भी विज्ञापन एजेंसियों को दी गई। बस स्टॉप ऐसे स्थानों पर बनाए गए जहां बसें रुकती ही नहीं हैं। इससे जनता को कोई फायदा नहीं हुआ। अब इन बस स्टॉप पर दुकानें खुलने लगी हैं। साथ ही, यूनिपोल लगाने के नियमों का उल्लंघन करते हुए उन्हें मनमानी जगहों पर स्थापित कर दिया गया।
पार्षदों ने जताया विरोध
यूनिपोल घोटाले का टेंडर 2019 में हुआ था। जब शहर के डिवाइडर पर यूनिपोल लगाए जा रहे थे, तब पार्षदों ने इसकी शिकायत की थी। निगम की सामान्य सभा में भी यह मुद्दा उठा। अधिकारियों ने यह स्वीकार किया कि विज्ञापन एजेंसियां अपने हिसाब से नियमों को बदल रही हैं।
मनमानी कीमतें और साइज
टेंडर में गड़बड़ी की बात सामने आई है, जिसमें किसी एजेंसी को काम 900 रुपये में दिया गया तो किसी को 400 रुपये में। यूनिपोल का साइज 15×9 होना चाहिए था, लेकिन इसे मनमाने ढंग से 18×18 कर दिया गया। इस घोटाले ने न केवल नगर निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि शहरवासियों की सुरक्षा और सुविधाओं को भी प्रभावित किया। टॉयलेट और बस स्टॉप जैसी सुविधाओं के नाम पर योजनाओं का दुरुपयोग हुआ है।