बिलासपुर। हाईकोर्ट ने CSEB की स्टेट पॉवर होल्डिंग कंपनी द्वारा वर्ष 2022 में आयोजित कनिष्ठ अभियंता के लिए विभागीय प्रमोशन परीक्षा में परीक्षा में पूछे गए त्रुटिपूर्ण प्रश्नों को लेकर बोनस अंक प्रदान करने और तीन माह के भीतर जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्ति करने के निर्देश कंपनी को दिए हैं। न्यायमूर्ति ए.के. प्रसाद की एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया

प्रश्नपत्र में इस तरह हुई गड़बड़ी

दरअसल, छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर होल्डिंग कंपनी ने जूनियर इंजीनियर के पद पर पदोन्नति देने के लिए विभागीय परीक्षा का आयोजन किया था। इसमें कुछ गलत सवाल पूछे गए थे। गलत सवालों के उत्तर ना देने के कारण याचिकाकर्ताओं को पदोन्नति परीक्षा में फेल कर दिया गया। इसे लेकर दिनेश कुमार चंद्रा व कुछ अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें बताया गया कि परीक्षा के दौरान जो प्रश्न पत्र होल्डिंग कंपनी ने परीक्षा हाल में बांटे थे उसमें 10 सवाल ऐसे थे, जिनका उत्तर देने के लिए दिए गए आप्शन में गड़बड़ी थी।

5 की जगह 4 दिए गए थे विकल्प

कोर्ट को बताया गया कि वैकल्पिक प्रश्न पूछने के बाद विकल्प के रूप में पांच सवाल दिए थे, लेकिन उत्तर लिखने के लिए पांच की जगह चार विकल्प छोड़े गए थे। परीक्षार्थियों को लगा कि विकल्प के लिए जो जगह तय की गई वह गलत है। गलत आंसर लिखने पर माइनस मार्किंग का भी डर था। लिहाजा याचिकाकर्ता और अन्य अभ्यर्थियों ने भी सवाल को गलत मानते हुए उत्तर नहीं दिया और सभी 10 सवालों को छोड़ दिया।

प्रबंधन ने खारिज कर दिया था अभ्यर्थियों का आवेदन

कंपनी ने जब रिजल्ट जारी किया तब दिनेश कुमार सहित कई को पदोन्नति के लिए अपात्र घोषित कर दिया। तब दिनेश ने त्रुटिपूर्ण प्रश्नों के लिए बोनस अंक अथवा उक्त प्रश्नों को विलोपित मानकर पुनर्गणना की मांग करते हुए उप महाप्रबंधक छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी रायपुर के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया, लेकिन उप महाप्रबंधक ने अभ्यावेदन को खारिज कर दिया। इस पर अभ्यर्थियों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका लगाई थी। कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की।

न्यायालय ने सुनवाई के पश्चात पाया कि प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका के बीच स्पष्ट तकनीकी विसंगति थी, जिससे अभ्यर्थियों का उचित मूल्यांकन नहीं हो सका। अदालत ने यह निर्णय दिया कि त्रुटिपूर्ण प्रश्नों के लिए याचिकाकर्ता को बोनस अंक दिए जाएं और तीन महीने के भीतर नियुक्ति के आदेश जारी किया जाए।