0 महज शिकायत पर कार्यवाही को लेकर उठ रही उंगली

बिलासपुर। न्यायधानी में शिक्षा विभाग की सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी सुषमा पाण्डेय और दो महिला भृत्य को सेवा आचरण नियमों के उल्लंघन के चलते निलंबित कर दिया गया है। निलंबन आदेश के मुताबिक बिना संस्था प्रमुख की अनुमति के वरिष्ठ कार्यालय में शिकायत करने और समझाइश के बाद भी उच्चाधिकारियों के विरुद्ध शिकायत किये जाने पर यह कार्रवाई की गई है।

निलंबन आदेश के मुताबिक सुषमा पांडेय, कार्यालय, प्राचार्य, शासकीय हाईस्कूल जरहाभांठा, बिलासपुर में सहायक ग्रेड 3 के पद पर कार्यरत है, वहीं इसी विद्यालय में गीता राही व रश्मि विश्वकर्मा भृत्य के पद पर काम कर रही हैं। तीनों महिला कर्मियों ने संस्था प्रमुख से अनुमति लिए बिना वरिष्ठ कार्यालय में जाकर संस्था के खिलाफ शिकायत करने और समझाईश दिए जाने के बावजूद वरिष्ठ अधिकारियों व कार्यालय की शिकायत की गई। निलंबन आदेश में उल्लेख है कि सुषमा पाण्डेय और अन्य से स्पष्टीकरण मांगा गया। प्राप्त उत्तर के परीक्षण के बाद यह स्पष्ट हुआ कि इनका कृत्य स्वेच्छाचारिता के दायरे में आता है, जो सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के तहत एक गंभीर अनुशासनहीनता माना गया। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ने इन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

वेतन नहीं मिलने की शिकायत पर उलटे हुई कार्यवाही

इस कार्यवाही के संबंध में सुषमा पांडेय ने TRP NEWS को बताया कि उन तीनों की शासकीय हाईस्कूल जरहाभांठा में पोस्टिंग है। दरअसल उनके पिछले महीने का वेतन नहीं आया। वेतन नहीं मिलने के पीछे मूल वजह यह थी कि विद्यालय में पदस्थ क्लर्क ऋतुपर्ण सिंह जिले में आचार संहिता लागू होने के बावजूद विद्यालय से डेढ़ महीने से छुट्टी पर थे और उनके बारे में जानकारी मिली है कि वे अपनी पत्नी के पंचायत चुनाव में प्रचार-प्रसार के लिए छुट्टी पर चले गए थे, जबकि बिना कलेक्टर से अनुमति के छुट्टी पर नहीं जा सकते। इस कर्मचारी द्वारा वेतन पत्रक नहीं बनाये जाने के चलते तीनों महिला कर्मियों को वेतन नहीं मिल सका।

इन महिला कर्मियों ने प्रिंसिपल मोहनजीत कौर को इसके बारे में बताया, तब प्रिंसिपल ने उलटे इन्हे डांटा और ट्रेजरी में जाकर पता करने को कहा। सुषमा पांडेय ने बताया कि उन्होंने वेतन नहीं मिलने के बारे में बाकायदा प्राचार्य को पत्र लिखकर DEO से मिलने के लिए अनुमति मांगी और प्रभारी DEO पी दाशरथी से मुलाकात की और बताया कि बार-बार की शिकायत के बावजूद प्रिंसिपल उनके रुके हुए वेतन के लिए प्रयास नहीं कर रही हैं। सुषमा के मुताबिक DEO ने उन्हें उल्टे डांटना शुरू कर दिया और कहा कि प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत करने पर उनके खिलाफ कार्यवाही हो जाएगी।

DEO के यहां समस्या का निराकरण नहीं होने पर तीनों महिला कर्मी बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण से मिलने चली गईं। सुषमा ने बताया कि कलेक्टर ने उनकी बात गंभीरता से सुनी और DEO को फोन करके इन्हें वेतन नहीं मिलने के मामले में डांटा, और तत्काल निराकरण का निर्देश दिया। अब DEO के नाराज होने की बारी थी। उन्होंने कलेक्टर का निर्देश पालन करने की बजाय उल्टे तीनों महिला कर्मियों को शो कॉज नोटिस जारी कर दिया, और जवाब मिलने के बाद तीनों को निलंबित करने का आदेश थमा दिया। इस तरह महज वेतन के लिए शिकायत करना इन तीनों महिला कर्मियों के लिए भारी पड़ गया।

कार्यवाही पर उठ रही उंगली

शिक्षा विभाग में इस तरह कर्मचारियों को महज संस्था प्रमुख के खिलाफ की गई शिकायत को लेकर निलंबन की कार्यवाही पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं। इस संबंध में तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के बिलासपुर प्रमुख चंद्रशेखर का कहना है कि अपने वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ शिकायत करने पर किसी भी कर्मी को निलंबित करना गलत है। ऐसा करने की बजाय शिकायत की जांच करनी चाहिए। अमूमन ड्यूटी के दौरान उच्चाधिकारी से मिलने या कार्यालय जाने के लिए संस्था प्रमुख को सूचना देने या अनुमति लेने का प्रावधान है और तीनों महिला कर्मियों द्वारा बाकायदा प्रिंसिपल से अनुमति ली गई है। इस तरह की कार्यवाही करने से भविष्य में निचले स्तर पर अफसरों अथवा संस्था प्रमुख की मनमानियां उल्टे बढ़ेंगी।

कर्मचारी नेता का कहना है कि प्रिंसिपल के खिलाफ की गई शिकायत की जांच की बजाय कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही करना गलत है। यूनियन इस मामले में अपना विरोध दर्शाते हुए कार्यवाही को वापस लेने की मांग करेगा।

देखें तीनों कर्मियों का निलंबन आदेश :