नई दिल्ली। भारतीय सर्राफा बाजार में आज 24 कैरेट सोने की कीमत 1,00,000 रुपये से अधिक दर्ज की गई, जबकि 22 कैरेट सोना भी 92,000 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है।

वेडिंग सीजन और अक्षय तृतीया से पहले सोने के रेट में रिकॉर्ड तोड़ तेजी देखी जा रही है। दिल्ली के रिटेल मार्केट में सोने की कीमतें मंगलवार को पहली बार ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम के ऐतिहासिक हाई लेवल पहुंच गईं। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के मुताबिक, 24 कैरेट का सोना आज 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर पहुंच गया। इसका सोमवार का प्राइस 96670 रुपये था। यानी आज एक दिन में 24 कैरेट का सोना 3,330 रुपये प्रति 10 ग्राम महंगा हो गया। वहीं, चांदी आज 95,900 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई। इधर, सोने के वायदा भाव में लगातार चौथे कारोबारी सेशन में मंगलवार को तेजी देखी गई और सुरक्षित निवेश की मांग के चलते यह 1,899 रुपये की तेजी के साथ 99,178 रुपये प्रति 10 ग्राम के लाइफ टाइम हाई पर पहुंच गया था। इसके अलावा, अक्टूबर अनुबंध ने एमसीएक्स पर पहली बार एक लाख रुपये का आंकड़ा पार किया, जो 2,000 रुपये यानी दो प्रतिशत बढ़कर 1,00,484 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।

सोने के रेट में तेजी की ये है वजह

  1. बता दें कि सोने के रेट में यह तेजी वैश्विक अनिश्चितता के बीच आई है। इसका कारण ब्याज दरों में कटौती को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बीच नए सिरे से तनाव तथा अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर का तेज होना है। वर्तमान में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान जैसे बड़े देशों की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ रही है। इससे दुनिया में मंदी की आशंका है।
  2. डॉलर इंडेक्स कई सालों के निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिससे सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की मांग बढ़ गई है। बता दें कि डॉलर के कमजोर होने पर अक्सर सोने की कीमत बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सोने की कीमत डॉलर में होती है, जिससे अब मजबूत फॉरेन करेंसीज होल्डर्स के लिए यह सस्ता हो जाता है। मंगलवार को कॉमेक्स सोना 3,395 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस के करीब कारोबार कर रहा था।
  3. सोने की तेजी के पीछे एक कारण केंद्रीय बैंकों द्वारा की जाने वाली खरीद भी है। आर्थिक संकट से निपटने की तैयारी के बीच बीते तीन सालों में दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने 1,000 टन से अधिक सोने की खरीदारी की है। टाटा एएमसी की रिपोर्ट के अनुसार, सोने की डिमांड खासकर चीन, भारत और तुर्की जैसे उभरते बाजारों से है, जिनके पास अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस जैसी अन्य बड़ी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम भंडार है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में केंद्रीय बैंक द्वारा की जाने वाली खरीद औसतन 100 टन प्रति माह रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्रीय बैंकों ने भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने के जवाब में अपनी सोने की खरीद बढ़ा दी है।
  4. सोने की कीमतों को बढ़ाने का एक सुरक्षित निवेश भी है। दरअसल, बढ़ती मंदी की आशंकाओं, सुस्त विकास और लगातार ट्रेड वॉर टेंशन के बीच निवेशक सोने जैसी सुरक्षित-पनाह वाली संपत्तियों की तलाश में हैं।
  5. एक रिपोर्ट के मुताबिक, गोल्ड ईटीएफ निवेशकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। यूबीएस के अनुमान के अनुसार, 2025 में संस्थागत और रिटेल निवेशकों द्वारा वैकल्पिक और अधिक स्थिर परिसंपत्ति में निवेश की तलाश के कारण निवेश 450 मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगा।

क्या अभी सोना खरीदना चाहिए?

इंडस्ट्रीज से जुड़े एनालिस्ट्स का कहना है कि सोने की कीमतें अस्थिर रह सकती हैं, लेकिन छोटी अवधि में स्थिर रहेगी। यदि आप निवेश करना चाहते हैं, तो अधिकांश एनालिस्ट इन स्तरों पर शॉर्ट सेलिंग से बचने की सलाह देते हैं। बता दें कि 2025 में अब तक सोना 26% या 20,800 रुपये प्रति 10 ग्राम से अधिक बढ़ चुका है। हालांकि तेजी के लिए मजबूत अनुकूल परिस्थितियां हैं, लेकिन एनालिस्ट का कहना है कि सावधानी से आगे बढ़ना बुद्धिमानी है। अगर आप अभी निवेश करना चाहते हैं, तो छोटे-छोटे चरणों में या गिरावट पर ऐसा करने पर विचार करें। एनालिस्ट का मानना है कि आने वाले समय में सोने के रेट में गिरावट भी देखी जा सकती है। अगर आर्थिक अनिश्चितता से जुड़ी समस्याएं यानी ट्रेड वॉर और भू राजतीनिक तनाव हल हो जाती है तो अचानक से सोने के रेट में गिरावट देखी जा सकती है। इस स्थिति में सोने के रेट 2,850 डॉलर से 2700 डॉलर प्रति औंस तक आ सकती है।