बिलासपुर। न्यायधानी की जीवनदायिनी अरपा नदी में रेत के अवैध खनन और प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नगर प्रशासन के सचिव से शपथपत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब मांगा है। न्यायालय ने कहा है कि सचिव को यह बताना होगा कि नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए शासन क्या ठोस कदम उठा रहा है। साथ ही, वित्तीय अनुदान के प्रस्ताव की स्थिति और उसकी स्वीकृति पर भी जानकारी देनी होगी।

इस मामले को लेकर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में डिवीजन बेंच में जनहित याचिकाओं पर हुई। यहां अरपा नदी संरक्षण से जुड़ी सभी याचिकाओं को एक साथ सुना गया। नगर निगम बिलासपुर की ओर से अदालत को बताया गया कि नदी में गंदा पानी जाने से रोकने के लिए तैयार परियोजना को एमआईसी और सामान्य सभा से मंजूरी मिल चुकी है। इसे लिए करीब 103 करोड़ रुपये का प्रस्ताव राज्य शासन को वित्तीय स्वीकृति के लिए भेजा गया है।

जलधारा के पुनर्जीवन के लिए हो प्रयास
याचिकाकर्ताओं में अधिवक्ता अरविंद शुक्ला और रामनिवास तिवारी ने नदी के उद्गम स्थल की रक्षा, प्रदूषण की रोकथाम और जलधारा के पुनर्जीवन के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की है। वहीं, ‘अरपा अर्पण महाअभियान समिति’ की ओर से दायर याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि शासन के प्रतिबंध के बावजूद अरपा नदी में विभिन्न स्थानों पर रेत का अवैध खनन खुलेआम जारी है।
याचिका में इस बात का उल्लेख भी किया गया कि इसी तरह के खनन से बने गड्ढे में बीते वर्ष तीन बालिकाओं की डूबने से मृत्यु हो गई थी। हाईकोर्ट इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पर भी विचार कर रही है।
दोषियों पर सीधे FIR कर सकती है पुलिस
सुनवाई के दौरान अरपा अर्पण समिति के अधिवक्ता अंकित पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्ववर्ती रूलिंग का हवाला देते हुए कहा कि अवैध उत्खनन के मामलों में स्थानीय पुलिस बिना किसी विभागीय अनुशंसा के भी दोषियों पर सीधे एफआईआर दर्ज कर सकती है। कोर्ट ने शासन से इस पहलू पर भी परीक्षण करने और अपने शपथपत्र में इसकी स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।
समिति ने अब तक नहीं दी रिपोर्ट
राज्य शासन की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों को मिलाकर छह सदस्यीय समिति गठित की गई है, जो अरपा संरक्षण के मुद्दे पर काम कर रही है। हालांकि, अब तक इस समिति की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को निर्देशित किया है कि 8 मई को होने वाली अगली सुनवाई में संबंधित जानकारी और दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएं।