बिलासपुर। राज्य शासन ने एक दिन पूर्व ही शिक्षा विभाग में शिक्षकों के प्राचार्य पद पर पदोन्नति का आदेश जारी किया था। इस आदेश को 24 घंटे भी बीते नहीं थे और इस बीच हाई कोर्ट ने पदोन्नति पर स्टे लगा दिया है। दरअसल प्राचार्य पदोन्नति को लेकर चल रहे मामले में आज हाई कोर्ट में सुनवाई थी। इस दौरान हाई कोर्ट ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि बीते सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अंडरटेकिंग देने के बाद भी प्रमोशन सूची कैसे जारी कर दी गई। नाराज कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

संगठनों और शिक्षकों ने दायर की है याचिका

प्राचार्य पदोन्नति को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट में शिक्षकों व शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से अलग-अलग याचिका दायर की है। सभी याचिकाओं की कोर्ट में अलग-अलग सुनवाई चल रही है। बीते सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा दी गई जानकारी के बाद चीफ जस्टिस ने इस तरह की सभी याचिकाओं को एक साथ क्लब कर सुनवाई करने का निर्देश दिया है। प्राचार्य पदोन्नति को लेकर दायर सभी याचिकाओं की हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में अब एक साथ सुनवाई होगी।

प्राचार्य पदोन्नति को लेकर दायर अखिलेश त्रिपाठी की याचिका में डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। इसी याचिका में प्राचार्य पदोन्नति फोरम द्वारा हस्तक्षेप याचिका दायर की गई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त महा अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को जानकारी दी कि भर्ती पदोन्नति नियम 2019 के विरुद्ध हाई कोर्ट केअन्य बेंच में भी याचिका लंबित है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अलग-अलग बेंच में सुनवाई हो रही सभी याचिका को क्लब कर एक साथ सुनवाई करने का अनुरोध किया।

अतिरिक्त महाधिवक्ता के अनुरोध को स्वीकार करते हुए चीफ जस्टिस ने सभी याचिकाओं को एकसाथ क्लब करने का निर्देश दिया। आज ही चीफ जस्टिस की बेंच में 24 वे नंबर पर फ्रेश मैटर भर्ती पदोन्नति नियम 2019 को लेकर पुरुषोत्तम सिंह यदु की याचिका लगी हुई थी। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि डीबी में आपके द्वारा प्राचार्य पदोन्नति को लेकर दायर सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई का आदेश जारी किया गया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा दी गई जानकारी के बाद चीफ जस्टिस ने सभी याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई करने की व्यवस्था दी है। इसी के तहत आज मामले की सुनवाई हुई, इस दौरान कोर्ट की नाराजगी सामने आई है।

राज्य शासन ने अंडरटेकिंग का किया उल्लंघन

गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि बीते सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से अंडरटेकिंग दिया गया था और राज्य शासन ने अपने ही अंडरटेकिंग का उल्लंघन कर दिया है। कल ही राज्य शासन ने प्राचार्यों की पदोन्नति सूची जारी की है। इसमें ई संवर्ग के 1524 एवं टी संवर्ग के 1401 शिक्षकों कुल 2925 शिक्षकों की सूची जारी की गई है। यह जानकारी मिलने के बाद कोर्ट ने नाराजगी जताई और अवमानना नोटिस जारी कर शासन से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 7 मई को होनी है।