पुणे। देश के विश्वविख्यात खगोलशास्त्री और पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. जयंत नार्लीकर का पुणे स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे और सोमवार रात सोते समय उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से वैज्ञानिक समुदाय और विज्ञान प्रेमियों में शोक की लहर छा गई है।

19 जुलाई 1938 को कोल्हापुर में जन्मे डॉ. नार्लीकर ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने सर फ्रेड होयल के साथ मिलकर “होयल-नार्लीकर गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत” विकसित किया, जिसने वैश्विक खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारत सरकार ने उन्हें 1965 में पद्म भूषण और 2004 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। उन्होंने पुणे में अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी केंद्र (आईयूसीए) की स्थापना की और इसके निदेशक के रूप में कार्य किया।
डॉ. नार्लीकर ने विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी पुस्तकों, जैसे ‘स्टार्स इन द स्काई’ और विभिन्न मराठी लेखों का विश्व की कई भाषाओं में अनुवाद हुआ। उनकी पत्नी, प्रख्यात गणितज्ञ डॉ. मंगला नार्लीकर का निधन जुलाई 2023 में कैंसर के कारण हुआ था।
डॉ. नार्लीकर को भटनागर मेमोरियल पुरस्कार, एम. पी. बिड़ला पुरस्कार, और यूनेस्को का कलिंग पुरस्कार (1996) जैसे सम्मान प्राप्त थे। वह रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के फेलो थे। उनके निधन से विज्ञान जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।