टीआरपी डेस्क। चंद्रयान की सफलता की कहानी के बाद अब भारत के सैन्य पराक्रम की नई गाथा स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनने जा रही है। शिक्षा मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि भारत की अत्याधुनिक ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों की शौर्यगाथा को देश के बच्चों तक पहुंचाया जाएगा। ये वही मिसाइलें हैं, जिनकी ताकत से पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के दौरान घुटनों पर आ गया था।

शिक्षा मंत्रालय की बड़ी पहल
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को एक कार्यक्रम में इसके संकेत देते हुए कहा कि ब्रह्मोस और आकाश जैसी मिसाइलें भारत की सैन्य क्षमताओं का प्रतीक हैं और इनके विकास में हमारे वैज्ञानिकों का अहम योगदान है। उन्होंने बताया कि बच्चों में शोध और नवाचार की रुचि बढ़ाने के लिए पीएम रिसर्च फंड में बदलाव किए जा रहे हैं।
रोचक अंदाज़ में पढ़ाई जाएगी मिसाइलों की कहानी
मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, जिस तरह चंद्रयान मिशन की सफलता को सरल और आकर्षक भाषा में बच्चों तक पहुंचाया गया था और वह उनकी रुचि का केंद्र बना, उसी तरह ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों की कहानी भी बच्चों तक रोचक और प्रेरक शैली में पहुंचाई जाएगी। इसे भारतीय भाषाओं में तैयार किया जाएगा और पाठ्येतर गतिविधियों के माध्यम से छात्रों को सिखाया जाएगा।
इस पहल में बच्चों को बताया जाएगा कि कैसे ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों ने पाकिस्तान की मिसाइलों को हवा में ही ध्वस्त कर दिया, और उसकी सुरक्षा प्रणाली को चकनाचूर कर दिया। इन मिसाइलों ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और एयरबेस को लक्षित कर सफल हमले किए, जिससे वह कुछ ही घंटों में युद्धविराम की गुहार लगाने को मजबूर हो गया।
मिसाइलों की प्रमुख विशेषताएं
ब्रह्मोस मिसाइल
- रफ्तार: 9,878 किमी/घंटा
- रेंज: 400 किमी
- वजन: 1,290 किलोग्राम
- लंबाई: 8.4 मीटर
- भार क्षमता: 3,000 किलोग्राम
आकाश मिसाइल
- रफ्तार: 3,087 किमी/घंटा
- रेंज: 80 किमी
- वजन: 720 किलोग्राम
- लंबाई: 5.78 मीटर
- भार क्षमता: 60 किलोग्राम