0 आज से एक ही अफसर के भरोसे रह जायेगा राज्य सूचना आयोग

रायपुर। छत्तीसगढ़ में काम के बोझ तले दबे राज्य सूचना आयोग में नई नियुक्तियां खटाई में पड़ती नजर आ रही हैं। यहां मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी करने के बाद अनुभव की जो नई शर्त जोड़ दी गई है, उसके खिलाफ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में तीन-तीन याचिकाएं दायर हो गई हैं। इस मुद्दे पर कोर्ट में राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
बता दें कि जब मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के पदों के लिए राज्य शासन ने वैकेंसी निकाली, तब आवेदन के लिए अनुभव की कोई विशेष शर्त नहीं रखी गई थी, लेकिन 9 मई को जारी इंटरव्यू कॉल लेटर में सर्च कमेटी ने विधि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंपर्क या प्रशासन के क्षेत्र में कम से कम 25 वर्षों के अनुभव की अनिवार्यता जोड़ दी। इसी नए मापदंड के आधार पर 172 आवेदकों में से सिर्फ 51 को ही इंटरव्यू के लिए चुना गया। वहीं मुख्य सूचना आयुक्त के लिए 30 वर्ष के अनुभव की अनिवार्यता जोड़ दी गई।
नई शर्तों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका
राज्य शासन द्वारा अनुभव को लेकर जोड़ी गई नई शर्तों के खिलाफ हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर कर दी गई हैं। इनमें अनिल तिवारी द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त के पद के लिए 30 वर्ष के अनुभव की शर्त को चुनौती दी गई है, वहीं अधिवक्ता डी के सोनी ने दोनों पदों के लिए जोड़ी गई अनुभव की शर्तों के खिलाफ याचिका लगाई है।
हाईकोर्ट ने राज्य शासन से मांगा जवाब
हाईकोर्ट में इन दोनों मामलों को क्लब करने के बाद कल इस मामले में सुनवाई की गई। याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने इस संबंध में राज्य शासन से जवाब मांगा है। अब इस मामले की कल सुनवाई होगी। चूंकि सूचना आयुक्त के दो पदों के लिए 28 मई को इंटरव्यू है, इसलिए माना जा रहा है कि कल इस मामले में राज्य शासन का पक्ष आने के बाद कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी और संभवतः कोर्ट कल ही अपना फैसला सुना सकता है।
आज खत्म हो रहा है एन के शुक्ला का कार्यकाल
बताते चलें कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में दो सूचना आयुक्त कार्यरत रहे हैं। इनमें से एन के शुक्ला का कार्यकाल आज ख़त्म हो रहा है। इसके बाद आयोग का भार दूसरे सूचना आयुक्त अलोक चंद्रवंशी के कंधे पर आ जायेगा। वहीं आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त का पद 11 नवम्बर 2022 को एम के राऊत का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद से खाली है। अगर नई नियुक्तियों का मामला कोर्ट में उलझ गया तो इसमें और विलंब हो सकता है। अब देखना यह है कि अनुभव की शर्तों के खिलाफ दायर याचिकाओं को लेकर कोर्ट का क्या फैसला आता है।