रायपुर। झीरम घाटी हमले की 12वीं बरसी पर रविवार को कांग्रेस भवन, रायपुर में शहादत दिवस आयोजित किया गया, जहां कांग्रेस नेताओं ने हमले में शहीद हुए नेताओं को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने झीरम हमले को लेकर एक गंभीर और सनसनीखेज बयान दिया। उन्होंने इसे नक्सली हमला नहीं, बल्कि सुनियोजित राजनीतिक साजिश करार दिया।

सिंहदेव ने साफ शब्दों में कहा, मैं पूरी स्पष्टता से कहना चाहता हूं कि झीरम घाटी की घटना केवल एक नक्सली हमला नहीं थी। यह कांग्रेस नेताओं को निशाना बनाकर रची गई एक गहरी और योजनाबद्ध राजनीतिक साजिश थी। उन्होंने बताया कि घटना स्थल पर हमलावरों द्वारा विशेष रूप से स्वर्गीय नंदकुमार पटेल का नाम पूछा जा रहा था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह हमला व्यक्तिगत निशाने को लेकर किया गया था।
मैं परिवर्तन यात्रा का प्रभारी था, फिर भी NIA ने नहीं बुलाया
सिंहदेव ने यह भी सवाल उठाया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस मामले में उनसे अब तक पूछताछ नहीं की। उन्होंने कहा, मैं उस वक्त कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा का प्रभारी था, फिर भी NIA ने मुझे कभी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया।
उनका आरोप है कि उस समय प्रदेश में चुनावी समीकरण कांग्रेस के पक्ष में बन रहे थे, और कुछ शक्तियों को यह मंजूर नहीं था, इसलिए इस घटना को अंजाम दिया गया।
झीरम हमला था राजनीतिक हत्या का प्रयास
टी.एस. सिंहदेव ने दोहराया कि झीरम हमला राजनीतिक हत्या का प्रयास था, जिसे एक नक्सली हमले की आड़ में अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस दृष्टिकोण को जांच समिति के सामने भी रखा है, और अब समय आ गया है कि सच्चाई देश के सामने लाई जाए। बता दें कि 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर माओवादी हमले में इस हमले में 32 लोग मारे गए, जिनमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे, और सलवा जुडूम के संस्थापक महेंद्र कर्मा शामिल थे। वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल भी गंभीर रूप से घायल हुए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। यह हमला न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए एक झटका था, क्योंकि यह पहली बार था जब माओवादियों ने किसी राजनीतिक दल को सीधे निशाना बनाया।