0 अधूरे मकान हो गए जर्जर अधूरे पड़े
0 अब तक नहीं मिल सकी सिर छुपाने की जगह

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। सरकार जहां एक ओर जरूरतमंदों को प्रधानमंत्री आवास का आवंटन कर रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसे भी मामले हैं जिसमें लोगों ने मकान बनाने के लिए ठेकेदार को रुपए दे दिए, और हुआ यह कि ठेकदार काम पूरा किए बिना ही चंपत हो गया। ऐसे ही गरीब बैगा आदिवासी परिवारों को ठेकेदार ने चूना लगा दिया।

8 साल से बाट जोह रही थी दंपत्ति

 प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2016-17 में स्वीकृत आवास अब तक अधूरे हैं और आदिवासी हितग्राही आज भी खस्ताहाल झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं। यह मामला जनपद पंचायत गौरेला के धनौली गांव के बैगा पारा का, जहां के रहने वाले केशलाल बैगा और बलसिंह बैगा को योजना के अंतर्गत आवास स्वीकृत हुआ था। लेकिन ठेकेदार दीपक यादव ने झांसा देकर इन आदिवासियों से 2.40 लाख की रकम हड़प ली और निर्माण अधूरा छोड़ भाग गया।

आवास योजना का रुपया निकाल कर दे दिया ठेकेदार को

कम पढ़े-लिखे आदिवासियों को भरोसे में लेकर ठेकेदार ने कहा कि वह जल्द से जल्द उनका मकान बनाकर दे देगा। इस विश्वास में उन्होंने अपने खातों में आए प्रधानमंत्री आवास योजना के पैसे सीधे ठेकेदार को सौंप दिए। ठेकेदार ने शुरुआत में थोड़ा बहुत निर्माण कार्य कराया, लेकिन घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर काम बंद कर दिया और गायब हो गया। आठ साल बीतने के बावजूद आज भी दोनों आदिवासियों के मकान अधूरे और जर्जर हालत में पड़े हैं।

शिकायत के बाद सीईओ ने कराया FIR

जब हितग्राहियों ने ठेकेदार से बार-बार संपर्क किया तो वह टालमटोल करता रहा। अंततः मामले की शिकायत जनपद पंचायत गौरेला के सीईओ से की गई। जांच में धोखाधड़ी की पुष्टि होने के बाद सीईओ ने गौरेला थाना प्रभारी को शिकायत पत्र भेजा, जिसके आधार पर धोखाधड़ी की धारा 420 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

FIR दर्ज होने के बाद हड़बड़ाया ठेकेदार

एफआईआर दर्ज होने की खबर मिलते ही ठेकेदार दीपक यादव अब फिर से केशलाल बैगा के घर पहुंच गया है और फिर से उसी घटिया सामग्री से मकान बनाने की कोशिश कर रहा है, ताकि कानूनी कार्रवाई से बच सके। हालांकि मामले कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।

प्राथमिकता से आवास बनाने के निर्देश

इधर जीपीएम कलेक्टर लीना कमलेश मंडावी और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुरेंद्र प्रसाद वैद्य ने निर्देश दिया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ किया जाए। यह गरीबों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता की योजना है, और इसमें किसी भी स्तर पर गड़बड़ी, लापरवाही या अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।