नयी दिल्ली। विदेशों में सिम की तस्करी करने वाले गिरोह का दिल्ली पुलिस की आईजीआई इकाई ने भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह के कथित तौर पर एक अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग नेटवर्क से संबंध बताए जा रहे हैं।

एमपी का निकला गिरोह

पुलिस ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि मध्य प्रदेश के पांच लोगों को धोखाधड़ी से 398 सक्रिय भारतीय सिम कार्ड हासिल करने और उन्हें विदेश (मुख्य रूप से दुबई) भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह गिरोह तब सामने आया जब सीआईएसएफ ने 15 फरवरी को आईजीआई हवाई अड्डे के टर्मिनल-3 पर सुनील रावत नामक व्यक्ति को रोका।

दुबई में नौकरी का दिया लालच

बयान में कहा गया है कि भारतीय नागरिक सुनील रावत को दुबई जाने के लिए विमान में सवार होना था उसके पास विभिन्न नामों से पंजीकृत 398 सक्रिय सिम कार्ड पाए गए। जांच से पता चला कि रावत कथित तौर पर फैजल नामक दुबई स्थित एक सूत्र के निर्देश पर काम कर रहा था, जिसने सिम कार्ड पहुंचाने के बदले में उसे 35,000 रुपये और नौकरी की पेशकश की थी।

इस तरह पकड़ाया गिरोह

पूछताछ के दौरान रावत ने खुलासा किया कि सिम कार्ड की व्यवस्था मध्य प्रदेश में उसके दोस्तों ने की थी और कूरियर के माध्यम से उसे भेजे थे। इस दौरान सिम के मुख्य आपूर्तिकर्ताओं की पहचान अश्विन कुमार और अंकित कुमावत के रूप में हुई है, जो दोनों मध्य प्रदेश के मूल निवासी हैं। पुलिस की एक टीम को उज्जैन और देवास जिलों के लिए रवाना किया गया जहां से अंकित कुमावत को गिरफ्तार कर लिया गया।

लोगों को गुमराह करके खरीदे सिम

पुलिस के अनुसार, उसने स्थानीय लोगों को मुफ्त डेटा और कॉल का लालच देकर गुमराह करके सिम कार्ड खरीदे थे। इसके बाद प्रत्येक सिम कार्ड 500 रुपये में अश्विन कुमार को बेचा गया, जिसने बाद में उसे दुबई में अपने भाई मनीष कुमार और सहयोगी फैजल को बेच दिया।

सरगना फैजल अब तक फरार

देवास में छोटा सा व्यवसाय चलाने वाले अश्विन कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया गया। धीरे-धीरे देवास निवासी तीन और लोगों, मनीष कुमार (अश्विन का भाई), लोकेन्द्र सेंधव और द्वारका प्रसाद को पकड़ लिया गया। पुलिस ने बताया कि संदिग्ध सरगना फैजल अभी भी फरार है और उसे पकड़ने के प्रयास जारी हैं।