नेशनल डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादित गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम योजना ने न सिर्फ वैश्विक राजनीति को हिला दिया है, बल्कि भारत की प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में भी नया विवाद खड़ा कर दिया है।

जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ के अंतर्गत आने वाले सेंटर फॉर कैनेडियन, यूएस एंड लैटिन अमेरिकन स्टडीज़ का नाम बदलकर ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ अमेरिका’ रखे जाने पर शिक्षकों और प्रशासन के बीच गंभीर मतभेद पैदा हो गए हैं।

इस फैसले को लेकर जवाहन लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों का आरोप है कि यह फैसला एक तरह से ट्रंप के फैसलों को स्वीकार करना जैसा है, जिसका हम विरोध करते हैं।

अमेरिकी सोच को बढ़ावा देने का एजेंडा?

मीडिया रिपोर्ट्स में जेएनयू के इन प्रोफेसरों के हवाले से बताया गया कि अभी तक लैटिन अमेरिका और कनाडा पर भी शोध हो रहे हैं, लेकिन सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ अमेरिका करने से आशंका उत्पन्न हो रही है कि क्या यह फैसला सिर्फ अमेरिका की विचारधारा को आगे बढ़ाने का है या फिर ट्रंप के वर्चस्व को स्वीकार करने का? प्रोफेसरों ने कहा कि लैटिन अमेरिका और कनाडा की संस्कृति और विचारधारा अमेरिका की संस्कृति और विचारधारा से अलग है। ऐसे में जेएनयू के इस सेंटर का नाम सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ अमेरिका करने पर सवाल खड़े होते हैं।

ट्रंप के फैसले वैश्विक शांति के लिए खतरनाक

प्रोफेसरों का कहना है कि ट्रंप ने मार्च महीने में कनाडा को 51वां राज्य बनने का प्रस्ताव दिया था। स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडी के सेंटर फॉर कैनेडियन, यूएस एंड लैटिन अमेरिकन स्टडी का नाम बदलने के पीछे ट्रंप की विचारधारा को बढ़ावा देने की सोच लगती है। ट्रंप जिस तरह से अमेरिका को वैश्विक राजनीति पर हावी करना चाहते हैं और जिस तरह से फैसले ले रहे हैं, वह वैश्विक शांति के लिए खतरनाक है। प्रोफेसरों ने कहा कि जेएनयू के सेंटर का नाम बदलना हमारी समझ से परे हैं, जिसका हम विरोध कर रहे हैं।

यह है पूरा मामला

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा को अपनी प्रस्तावित गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम में शामिल होने का ऑफर दिया था। ट्रंप ने कहा था कि अगर कनाडा अमेरिका के 51वां राज्य बनता है, तो वह फ्री में 175 अरब डॉलर के इस डिफेंस सिस्टम का हिस्सा बनेगा। उनके इस ऑफर पर कनाडा की प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन चीन ने आपत्ति जता दी। चीन ने कहा कि ट्रंप के इस फैसले से धरती से परे अंतरिक्ष में खतरनाक हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है। यह योजना बाहरी अंतरिक्ष संधि का भी उल्लंघन करती है। साथ ही, अंतरिक्ष को सैन्यीकरण की ओर भी धकलने वाला प्रयास साबित होता है।

क्या है गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम

यह सिस्टम अमेरिका को बैल्स्टिक, हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइलों को दुश्मन देशों के हमले से बचाने के लिए बनाया जा रहा है। इसके तहत अंतरिक्ष में सैंकड़ों सैटेलाइट होंगे, जो किसी मिसाइल के लॉन्च होते ही आसमान में मार गिराएंगे। खास बात है कि दुश्मन देश जब मिसाइल को लॉन्च करेगा, उसके रफ्तार तेज होने से पहले ही उसे नष्ट कर देगा। चूंकि यह सिस्टम अंतरिक्ष आधारित है, लिहाजा ट्रंप के इस फैसले की आलोचना हो रही है।