टीआरपी डेस्क। देश में एक बार फिर कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा तेज़ी से बढ़ता दिख रहा है। बीते 24 घंटों में 378 नए कोविड केस सामने आए हैं और 6 लोगों की मौत हुई है। इस बढ़ोतरी के साथ देश में कुल सक्रिय मामलों की संख्या 6133 तक पहुंच गई है। सिर्फ 9 दिनों में 58 लोगों की जान जा चुकी है और पिछले 16 दिनों में संक्रमण के मामलों में 23 गुना तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य केरल, दिल्ली-महाराष्ट्र में भी तेजी

स्वास्थ्य मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, केरल इस समय कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित राज्य है। उसके बाद गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और महाराष्ट्र में भी केस लगातार बढ़ रहे हैं।

राज्यवार सक्रिय मरीजों की संख्या:

  • केरल: 1950
  • गुजरात: 822
  • पश्चिम बंगाल: 693
  • दिल्ली: 686
  • महाराष्ट्र: 595

देश में फिलहाल ऐसे दो राज्य हैं अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम जहां से अभी तक एक भी सक्रिय मामला दर्ज नहीं किया गया है।

22 मई को सिर्फ 257 केस थे

22 मई को पूरे देश में सिर्फ 257 एक्टिव केस थे, लेकिन अब वह संख्या 6000 के पार पहुंच गई है। बीते 48 घंटों में ही मामलों में 769 की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि राहत की बात यह है कि ज्यादातर मामले हल्के हैं और मरीज़ घर पर ही उपचार ले रहे हैं।

केंद्र सरकार सतर्क, राज्यों को दिए गए निर्देश

कोविड मामलों में इस अचानक हुई वृद्धि को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अलर्ट रहने और जरूरी मेडिकल संसाधनों जैसे ऑक्सीजन सप्लाई, आइसोलेशन बेड, वेंटिलेटर और जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

स्थिति की समीक्षा के लिए की गई उच्चस्तरीय बैठक

कोरोना की मौजूदा स्थिति और तैयारियों को लेकर 2 और 3 जून को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. सुनीता शर्मा की अध्यक्षता में तकनीकी समीक्षा बैठकें आयोजित की गईं। इन बैठकों में आपदा प्रबंधन, आपातकालीन सेवा, एनसीडीसी, आईसीएमआर, आइडीएसपी सहित दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

फोकस में गंभीर श्वसन बीमारी और जीनोम सीक्वेंसिंग

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्य और ज़िला निगरानी इकाइयों को निर्देश दिया है कि वे इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (ILI) और गंभीर श्वसन संक्रमण (SARI) पर पैनी निगरानी रखें। गंभीर मामलों में भर्ती हर मरीज का कोविड परीक्षण ज़रूरी बताया गया है। साथ ही, पॉजिटिव सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजने की सिफारिश की गई है, ताकि नए वेरिएंट्स की पहचान समय रहते हो सके।