टीआरपी डेस्क। कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की कट्टर सोच और आक्रामकता एक बार फिर सुर्खियों में है। वैंकूवर में आयोजित एक रैली के दौरान खालिस्तान समर्थकों ने कनाडाई खोजी पत्रकार मोचा बेजीर्गन पर हमला कर दिया। पत्रकार उस रैली की रिपोर्टिंग कर रहे थे, जब यह घटना हुई।

बेजीर्गन ने सोशल मीडिया पर बताया, यह सब कुछ दो घंटे पहले हुआ और मैं अब भी कांप रहा हूं। उन्होंने गुंडों की तरह व्यवहार किया- मुझे घेर लिया, फोन छीनने की कोशिश की और रिकॉर्डिंग रुकवाने के लिए धमकाया।
उन्होंने बताया कि यह घटना भले कुछ मिनटों की थी, लेकिन वह बेहद भयावह थी। पत्रकार के अनुसार, रैली के दौरान खालिस्तान समर्थक भारत-विरोधी नारेबाज़ी कर रहे थे, हिंसा की तारीफ कर रहे थे और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वालों को ‘नायक’ के तौर पर प्रस्तुत कर रहे थे।
इंदिरा गांधी के हत्यारों को अपना आदर्श मानते हैं
मोचा बेजीर्गन ने कहा कि रैली में मौजूद कुछ लोगों ने खुलेआम इंदिरा गांधी के हत्यारों को अपना ‘पूर्वज’ और आदर्श बताया। जब मैंने पूछा कि क्या आप भी मोदी सरकार के साथ वैसा ही करना चाहते हैं जैसा इंदिरा गांधी के साथ हुआ था, तो उन्होंने मुझ पर चिल्लाना शुरू कर दिया।
बेजीर्गन ने कहा कि उन्होंने पहली बार देखा कि स्वतंत्रता की बात करते हुए कुछ लोग कैसे हिंसा और उग्रता को महिमामंडित कर रहे हैं। यह विचारधारा न सिर्फ लोकतंत्र के खिलाफ है, बल्कि मानवाधिकारों के लिए भी खतरा है।
बेजीर्गन ने आरोप लगाया कि इस पूरी गतिविधि के पीछे प्रतिबंधित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) का हाथ है। उन्होंने कहा, यह संगठन ओंटारियो से लेकर ब्रिटिश कोलंबिया, अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड तक अपनी पहुंच रखता है। ये लोग बार-बार अलग-अलग गुरुद्वारों से समर्थकों को बुलाकर भीड़ इकट्ठा करते हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि कनाडा में विश्व सिख संगठन (WSO) जैसे बड़े सियासी समूह इन गतिविधियों को वैचारिक और राजनीतिक संरक्षण देते हैं, जिनका अतीत कई विवादों से जुड़ा रहा है।
भारत विरोधी एजेंडा और लोकतांत्रिक खतरे
बेजीर्गन ने चेतावनी दी कि खालिस्तान समर्थकों की यह सोच न केवल भारत-कनाडा संबंधों को प्रभावित कर रही है, बल्कि यह कनाडा के बहुसांस्कृतिक लोकतंत्र के लिए भी चुनौती बन सकती है। उन्होंने कहा, ये लोग जी-7 जैसे वैश्विक मंचों का इस्तेमाल भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ ज़हर फैलाने के लिए कर रहे हैं। यह केवल आज़ादी की मांग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी हिंसात्मक साजिश है।
डरूंगा नहीं, सच्चाई दिखाता रहूंगा
घटना के अंत में बेजीर्गन ने कहा कि वे इस डराने-धमकाने की संस्कृति से पीछे हटने वाले नहीं हैं। मेरे साथ जो हुआ, वह कोई इत्तेफाक नहीं था। यह दिखाता है कि कुछ लोग अपनी विचारधारा थोपने के लिए किस हद तक जा सकते हैं। लेकिन मैं रुकने वाला नहीं हूं। सच दिखाना मेरी जिम्मेदारी है और मैं इसे निभाता रहूंगा।