सूरजपुर। जिले के खोंड़ गांव में स्थित प्री-मैट्रिक बालक छात्रावास एवं आश्रम की जर्जर स्थिति ने 150 बच्चों की जान को संकट में डाल दिया है। करीब एक दशक पहले बनी इस इमारत की हालत आज इतनी बदतर हो चुकी है कि बारिश में छतें टपकती हैं, दीवारों में दरारें हैं और बिजली पूरी तरह ठप है। ऐसे में बच्चे न केवल शिक्षा से वंचित हो रहे हैं, बल्कि जान जोखिम में डालकर हर रोज इस खंडहर जैसी इमारत में रहने को मजबूर हैं।

बिजली नहीं, छत से पानी टपकता है, भय के साये में बच्चे
जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर खोंड़ पंचायत स्थित इस भवन में 50 बालकों का छात्रावास और 100 बालकों का आश्रम एक साथ संचालित हो रहा है। शिक्षा के नाम पर बच्चों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। आठ कमरों की इस इमारत में दीवारें दरक रही हैं, छत से सरिए झाँक रहे हैं, और बारिश में कमरों में पानी भर जाना अब आम बात हो गई है। बिजली की आपूर्ति पूरी तरह बंद है। क्रेडा द्वारा लगाई गई सोलर लाइटें दो साल से खराब हैं। मोटर नहीं चलने के कारण बच्चों को हैंडपंप से पानी भरना पड़ रहा है।

एक बिस्तर पर दो बच्चे, 150 छात्रों के लिए सिर्फ 75 बेड
इतने गंभीर हालात के बीच आश्रम में 150 बच्चों के लिए सिर्फ 75 बेड हैं। मजबूरी में एक-एक बिस्तर पर दो-दो बच्चों को सुलाया जा रहा है। कई बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
सांसद चिंतामणि महाराज ने लगाई फटकार
हाल ही में सरगुजा सांसद चिंतामणि महाराज ने खुद आश्रम का निरीक्षण किया। बच्चों की हालत देख वे नाराज़ हो गए और ट्राइबल विभाग के अधिकारियों को फोन पर फटकार लगाते हुए जल्द सुधार के निर्देश दिए। उन्होंने इसे विभाग की गंभीर लापरवाही करार दिया।
विभाग ने मानी गलती, प्रस्ताव भेजने का दावा
मामले पर ट्राइबल विभाग के सहायक आयुक्त घनश्याम सिंह ने माना कि खोंड़ जैसे दूरस्थ इलाकों में व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को नए निर्माण और सुविधाओं के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। मगर विभागीय लापरवाही और लेटलतीफी के कारण आज भी इन इलाकों में बच्चे न केवल शिक्षा बल्कि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।