नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुजरात के आयुर्वेदिक संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने वाला एक विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया। आयुष राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक द्वारा पेश किए गए आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान बिल में जामनगर स्थित गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान के साथ तीन अन्य संस्थानों का समूह स्थापित करने और उन्हें राष्ट्रीय महत्व वाला संस्थान घोषित करने का प्रावधान है।

बिल में जिन संस्थानों का क्लस्टर स्थापित करने का प्रावधान है उनमें आयुर्वेद में स्नातकोत्तर शिक्षण और अनुसंधान संस्थान, गुलाबकुंवरबा आयुर्वेद महाविद्यालय और आयुर्वेद औषधि विज्ञान संस्थान शामिल हैं। बिल पेश करते हुए नाइक ने कहा, इससे आयुर्वेद शिक्षा के मानक को उन्नत करने की स्वायत्तता, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मांग के अनुसार आयुर्वेद में विभिन्न पाठ्यक्रमों की रूपरेखा और उन्नत मूल्यांकन पद्धति को अपनाया जाएगा। साथ ही देश की प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में आयुर्वेद की क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी।

विपक्ष ने गुजरात को चुनने पर उठाये सवाल

टीएमसी संसद सौगत राय ने बिल पेश किये जाने का विरोध करते हुए सवाल उठाया कि गुजरात में ही संस्थानों का क्लस्टर स्थापित करने की क्या जरूरत है। उन्होंने कहा, संस्थान स्थापित ही करने हैं तो केरल, दिल्ली, वाराणसी या पश्चिम बंगाल में किए जाने चाहिए।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार ने मनचाहे ढंग से संस्थानों का चयन किया है। उन्होंने पूछा, आखिर ये संस्थान तिरुवनंतपुरम में क्यों नहीं स्थापित किए जा सकते? साथ ही बिल में राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की परिभाषा भी स्पष्ट नहीं की गई है। वहीं नाइक ने कहा कि वह सभी सुझावों पर विचार करेंगे।

 

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें 

Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें  और Youtube  पर हमें subscribe करें।