एम्बुलेंस , तड़पती महिला ,मौत , अस्पताल ,Ambulance, tortured woman, death, hospital,
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कोरबा। नगर पंचायत पाली के वार्ड 2 निवासी 40 वर्षीया ललिता बाई की कल दोपहर 12 बजे अचानक तबियत बिगड़ गई और वह दर्द से तड़पने लगी।

परिजनों ने तत्काल संजीवनी 108 एंबुलेंस सेवा को कॉल किया। मगर सीएचसी पाली में एंबुलेंस पंचर होने के कारण 3 दिन से खड़ी थी जिसे सुधारा नहीं जा सका है । वहीँ परिजन दूसरे एंबुलेंस का इंतजार करते करते। डेढ़ घंटे बीत गए, और यह इंतजार उक्त महिला को भारी पड़ा और अंततः उसे जान से हाथ धोना पड़ा।

टीम के साथ घर पहुंचे डॉक्टर

महिला की मौत की घटना की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की एक टीम ने मृतका के घर पहुंचकर सभी के स्वास्थ्य की जानकारी ली और कोविड टेस्ट भी किया। परिजनों के अनुसार महिला बीपी शुगर की मरीज थी, जिसकी नियमित दवाई चल रही थी। लेकिन विगत 10 दिन से दवा खत्म होने से उसने दवा का सेवन नहीं किया, जिसके चलते उसकी तबीयत अचानक बिगड़ी और हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई।

बचाई जा सकती थी जान

घर पर दर्द सेतड़प रही इस महिला की जान बचाई जा सकती थी, यदि समय पर उसे एंबुलेंस और चिकित्सा सुविधा मिल जाती, लेकिन विडंबना देखिये कि जिस CHC पाली पर ब्लॉक की लगभग डेढ़ लाख की आबादी की स्वास्थ्य सेवा निर्भर है, वहां से एक अदद एंबुलेंस मयस्सकर नहीं हो सका। जबकि एक एम्बुलेंस अस्पताल परिसर में रखा था, जो पिछले 3 दिन से पंचर पड़ा है। समय रहते उसे सुधारा नहीं जा सका। इस लापरवाही की कीमत महिला को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

कोरोना काल में 108 की ऐसी बदहाल व्यवस्था

वर्तमान समय में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच होम आसोलेशन मे किसी भी मरीज की स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसे में एंबुलेंस सेवा को दुरुस्त रखा जाना अति आवश्यक है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण मरीजों को समय पर एंबुलेंस की सेवा भी नहीं मिल पा रही है। महिला की मौत की खबर मिलते ही नपं अध्यक्ष उमेश चंद्रा तत्काल सीएचसी पाली पहुंचे, जहां उन्हें एंबुलेंस दिखी । बताया गया कि यह तीन दिन से पंचर खड़ी है। तब उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारी, कर्मचारी व एंबुलेंस चालक को बुलाया और इस घोर लापरवाही के लिए स्वास्थ विभाग को आड़े हाथों लेते हुए सभी को जमकर फटकार लगाई ।

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