आखिर क्यों राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद किया गया, पीएमओ के पास नहीं है कोई जवाब

टीआरपी डेस्क। पीएमओ के पास इस बात की जानकारी ही नहीं है कि आखिर क्यों राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद किया गया। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि कुछ लोगों के निवेदन पर राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदला जा रहा है।

हैरत की बात यह है कि खेल मंत्रालय के पास ऐसे किसी निवेदन का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह खुलासा टीआरपी द्वारा लगाए गए आरटीआई के तहत हुआ है जिसका जवाब खुद पीएमओ ने दिया है। बता दें कि इस साल अगस्त महीने में जब भारतीय टीम ओलंपिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर रही थी, उसी दौरान अचानक से एक खबर आई कि ‘राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड’ का नाम बदलकर ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड’ कर दिया है।

बता दें कि मेजर ध्यानचंद के नाम पर पहले से ही एक पुरस्कार दिया जा रहा था, लेकिन छह अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में दावा किया कि ‘अनेक देशवासियों ने उनसे यह आग्रह किया था कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया जाए.’हालांकि प्रधानमंत्री के इस दावे की पुष्टि करने के लिए खेल मंत्रालय के पास ऐसे कोई दस्तावेज नहीं हैं, जिसमें पुरस्कार का नाम बदलने को लेकर नागरिकों के आग्रह का कोई ज़िक्र हो।

इस फैसले की फाइल में लगे दस्तावेजों की शुरुआत प्रधानमंत्री के ट्वीट से होती है। इसमें उनके तीन सिलसिलेवार ट्वीट्स की फोटो लगाई गई है, जिसके आधार पर पुरस्कार का नाम बदलने संबंधी मंजूरी प्राप्त करने के लिए फाइल नोटिंग्स तैयार की गई थी।

बता दें कि पहली अपील में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस संबंध में कोई सूचना देने से इनकार कर दिया था और आरटीआई एक्ट का खुला उल्लंघन करते हुए कहा था कि मांगी गई जानकारी ‘सूचना’ के ही परिभाषा के दायरे से बाहर है।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू और वॉट्सएप, पर