Bid closed in Rajim's paddy market, farmers refused to sell paddy at throwaway prices on the pretext of increasing tax
Bid closed in Rajim's paddy market, farmers refused to sell paddy at throwaway prices on the pretext of increasing tax

राजिम। गरियाबंद जिले की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी में कल तक जो धान 1570 रु प्रति क्विंटल तक बिका, वही आज 1370 रू प्रति क्विंटल तक उसकी बोली लगी, तब किसानों ने एकमत होकर कृषि उपज मंडी राजिम में अपना उपज बेचने से इनकार कर दिया। दरअसल आज ही कृषि उपज मंडी में मंडी शुल्क बढ़ने का आदेश पहुंचा, जिसके चलते व्यापारियों ने बोली कम कर दी। इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा था।

कृषक कल्याण के नाम पर बढ़ाया गया शुल्क

कृषि उपज मंडियों में अब तक 2 प्रतिशत का जो टैक्स था उसे बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे किसानों का उपज की कीमत 5 प्रतिशत तक कम हो गई है। कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्यौगिकी विभाग द्वारा इस संबंध में जारी अधिसूचना के बाद 1 दिसंबर से मंडी फ़ीस के अलावा कृषक कल्याण शुल्क लगा दिया गया है, जिसके चलते किसानों से धान खरीदने वाले व्यापारियों को अब कुल मिलाकर प्रति सौ रूपये की खरीदी पर कुल 5 रूपये का टैक्स देना पड़ेगा।

आदेश मिलते ही घटा दी बोली

एक ओर जहां छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मार्कफेड के माध्यम से 1 दिसम्बर से न्यूनतम समर्थन मूल्य में धान खरीदी शुरू हो चुकी है। धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य मोटा चावल – 1940 रु प्रति क्विंटल और पतला चावल – 1960 रु प्रति क्विंटल निर्धारित है । वहीं राजिम की मंडी में धान खरीदने आये व्यापारियों ने आज 1000 रूपये से अपनी बोली शुरू की। धान की अधिकतम बोली 1370 रू प्रति क्विंटल तक लगी, इससे लगभग 200 से 250 रूपये प्रति क्विंटल का नुकसान होते देख यहाँ पहुंचे किसानों ने एकजुटता दिखाते हुए धान बेचने से इंकार कर दिया।

समर्थन मूल्य से कम न हो आधार मूल्य – तेजराम

कृषि उपज मंडी राजिम में सरना धान बेचने आये किसान नेता तेजराम विद्रोही ने कहा कि कृषि उपज मंडी में खुली बोली के माध्यम से किसानों के उपज की खरीदी होती है लेकिन बोली के लिए आधार मूल्य निर्धारित नहीं होने से उपज का सही दाम नहीं मिल पाता है। इसके लिए सरकार को चाहिए कि कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 की धारा 36 (3) का पालन सुनिश्चित करे। जिसमे कहा गया है कि जिस भी फसल का समर्थन कीमत तय किया गया है उससे कम पर बोली नहीं लगाई जाएगी। एक तरफ पेट्रोल डीजल, खाद-बीज दवाई आदि कृषि लागत की कीमत दिन ब दिन बढ़ रही है तो दूसरी ओर किसानों के उपज का दाम कम कर दिया जाना किसानों के साथ अन्याय और शोषण है।

मंडी में अपना धान बेचना किसानों की मज़बूरी

किसानों का कहना है कि सरकार समर्थन मूल्य पर उनका धान प्रति एकड़ 15 क्विंटल ही खरीदती है, जबकि उनकी उपज प्रति एकड़ 25 से 26 क्विंटल है। ऐसे में प्रति एकड़ जो धान बच जाता है उसे मंडी में बेचना हमारी मज़बूरी हो जाती है। मंडी में अधिकतर राइस मिलर पहुँचते है, जो अपने हिसाब से बोली लगाते हैं। किसानों की मांग है कि धान की बोली न्यूनतम समर्थन मूल्य से शुरू होनी चाहिए, इस संबंध में कानून होने के बावजूद उसका पालन नहीं कराया कराया जा रहा है।

कुछ ही दिनों में हालात होंगे सामान्य – कुम्भज

छत्तीसगढ़ राज्य कृषि मंडी बोर्ड के एडिशनल डायरेक्टर अशोक कुम्भज ने बताया कि मंडी शुल्क बढ़ने की सूचना आज ही मंडियों तक पहुंची है, इसलिए व्यापारियों ने धान की बोली कम कर दी है। फ़िलहाल व्यापारियों के ऊपर दबाव बनाया जायेगा कि वे धान की बोली कम न करें। मंडी शुल्क बढ़ाने की जरुरत क्यों पड़ी, इस सवाल पर कुम्भज ने कहा कि दूसरे राज्यों में कृषक कल्याण शुल्क लिया जा रहा था, सरकार के पास इसका प्रस्ताव गया था। अब से यहां भी यह शुल्क लागू हो गया है।

बहरहाल किसानों का कहना है कि व्यापारियों को लगने वाले मंडी टैक्स का खामियाजा उन्हें भुगतना न पड़े, इसका ख्याल सरकार को रखना चाहिए। पहले जो टैक्स 2 प्रतिशत था उसे 3 प्रतिशत बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है जिससे किसानों के उपज की कीमत 5 प्रतिशत तक कम हो गई है।

देखें आदेश :

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