रायपुर। वर्तमान में जिस बर्ड फ्लू का संक्रमण हुआ है उसके स्ट्रेन का मानव स्वास्थ्य पर कोई भी असर नहीं पड़ता यह कहना है राजधानी के पोल्ट्री विशेषज्ञ डॉक्टर मनोज शुक्ला का। उन्होंने बताया कि भारत में सन 2004 से बर्ड फ्लू का संक्रमण हर वर्ष होता है।

मौजूदा बर्ड फ्लू का मानव स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं

इससे हर बार लोगों के बीच भय का माहौल पैदा होता है। इस दौरान लोग चिकन खाना बंद कर देते हैं। इसका सीधा असर इस व्यवसाय पर पड़ता है। जिसके कारण पोल्ट्री कारोबारियों को अरबों का नुकसान होता है। डॉ मनोज शुक्ला बताते हैं कि भारत में सन 2004 से बर्ड फ्लू का संक्रमण हर वर्ष होता है लेकिन आज तक इस आज तक बर्ड फ्लू के वायरस का असर मानव शरीर पर पड़ने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। सरकार इस बीमारी को लेकर जितनी गंभीरता दिखा रही है उससे डर का माहौल पैदा हो रहा है और इसका असर एक बार फिर पोल्ट्री के व्यवसाय पर पड़ने जा रहा है।

कोरोना काल में इम्यूनिटी होगी कमजोर

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में बर्ड फ्लू की पुष्टि होते ही पूरे प्रदेश में अलर्ट घोषित कर दिया गया है इसे देखते हुए एकाएक चिकन और अंडे की बिक्री में कमी आ गई है। गौरतलब है कि वर्तमान में पूरा देश को कोरोना से जूझ रहा है। कोरोना काल के दौरान उड़ रही अफवाहों के चलते लोगों ने चिकन खाना छोड़ दिया था, तब सरकार ने लोगों को अफवाहों से बचने की लोगों से अपील की थी और कोरोना के दौरान मरीज के भोजन के मैन्यू में एक अंडा अनिवार्य कर दिया था। इसके उलट आज सरकारी अमले के अधिकारी बर्ड फ्लू के होने पर आसपास के इलाके को निषिद्ध कर रहे हैं, वहीं आसपास की दुकानों को बंद भी किया जा रहा है। इसका असर पूरे प्रदेश में पड़ रहा है और लोग चिकन और अंडे खाने से परहेज़ करने लगे हैं। डॉ मनोज शुक्ला बताते हैं कि ऐसे में लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होगी और इसका असर लोगों पर पड़ेगा।

रानीखेत की बीमारी से मर रहे हैं कबूतर

पोल्ट्री विशेषज्ञ डॉ मनोज शर्मा ने बताया कि प्रदेश में कबूतर और कौवों की जो मौतें हो रही हैं, उसकी असली वजह रानीखेत नामक बीमारी है, पोल्ट्री फार्म में तो जब चूजे 7 दिन के होते हैं तब उन्हें रानीखेत से बचाने के लिए टीका दिया जाता है मगर खुले में रहने वाले पालतू मुर्गियों और दूसरे पक्षियों का वैक्सीनेशन संभव नहीं है। यही वजह है कि इनमें हर वर्ष रानीखेत नामक वायरस का संक्रमण होता है और गर्दन ऐंठते हुए इनकी मौत हो जाती है।

पोल्ट्री व्यवसाय पर बुरा असर

देश के लगभग 20 राज्यों में बर्ड फ्लू की एंट्री हो चुकी है। जैसे ही छत्तीसगढ़ में मुर्गियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है उससे पूरे प्रदेश में पोल्ट्री के व्यवसाय पर असर पड़ने लगा है। छत्तीसगढ़ पोल्ट्री डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजू ब्राह्मणकर का कहना है कि चिकन के रेट लगभग 30% गिर गए हैं। उन्होंने बताया कि हर बार बर्ड फ्लू की अफवाह उड़ती है और उनका व्यवसाय धड़ाम से नीचे गिर जाता है। इस व्यवसाय से देश भर में लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। हर बार यह इंडस्ट्री घाटे में आती है और जब तक वह थोड़ी ऊपर उठने लगती है तब तक इस तरह की बीमारी के चलते पोल्ट्री का व्यवसाय फिर प्रभावित हो जाता है।

इतना भयभीत करने की क्या जरूरत है

कुछ माह पूर्व ही कोरोना काल में अफवाहों के चलते उनका व्यवसाय ठप्प पड़ गया था। राजू ब्राह्मणकर का कहना है कि वर्तमान में बर्ड फ्लू का जो स्ट्रेन मिला है उसका जब मानव पर असर नहीं पड़ता है तो लोगों को इतना भयभीत करने की क्या जरूरत है। हाल ही में सरकार की अपील के बाद अंडों की खपत बढ़ी थी लेकिन अब स्थिति उलट होती जा रही है।

अरबों का है पोल्ट्री व्यवसाय

राजू ब्राह्मणकर
अध्यक्ष, छ ग पोल्ट्री डीलर्स एसोसिएशन

छत्तीसगढ़ में पोल्ट्री के व्यवसाय में 70 लाख लेयर ( मादा मुर्गियां) हैं, जो हर रोज 63 लाख अंडे देती हैं, और इससे रोजाना तीन करोड़ के अंडे का व्यवसाय होता है। इसी तरह हर महीने सवा करोड़ मुर्गों का उत्पादन होता है और 70 लाख किलो चिकन का व्यवसाय होता है। इस तरह छत्तीसगढ़ में चिकन का व्यवसाय 490 करोड़ रुपए प्रति माह होता है। वही इस व्यवसाय से बड़ी संख्या में लोग रोजगार से जुड़े हुए हैं। जरा सी अफवाह और प्रशासन द्वारा अनुभवी चिकित्सकों की सलाह के बिना उठाए गए कदम का पोल्ट्री के व्यवसाय पर बुरा असर पड़ता है। सरकार को इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है, ताकि लोग पैनिक न हों।


एंटीबॉडी टेस्ट रिपोर्ट आई नेगेटिव

डॉ. मनोज शुक्ला
पोल्ट्री विशेषज्ञ

डॉ. मनोज ने बताया कि बालोद में जिन मुर्गियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है उनके स्वाब की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जबकि उनके सिरम यानी एंटीबॉडी टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इन मुर्गियों में जो स्ट्रेन मिला है वह H5N8 है, जबकि H5N1 को खतरनाक बताया जाता है।


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