टीआरपी न्यूज़। यूूरोपियन कार्डियोलॉजी सोसायटी ने जून में रक्तचाप (बीपी) का सामान्य स्तर 130/90 की जगह 140/90 एमएम/एचजी मान लिया है। भारत के ज्यादातर हृदय रोग विशेषज्ञ यूरोपियन गाइडलाइन ( Eurapean Guideline for blood pressure ) ही मानते हैं। भारतीयों में बीपी ( BP ) का सामान्य स्तर 130/80 होना चाहिए। खाने में कम नमक, योग-ध्यान, व्यायाम के बाद भी यदि बीपी 140/90 से ऊपर जाता है तो इलाज शुरू करना चाहिए।

डायस्टोलिक (निचला) बीपी 80 ज्यादा कतई नहीं होना चाहिए। सिस्टोलिक (ऊपर) का स्तर यदि लगातार 130 से ज्यादा रहता है तो इलाज शुरू करना चाहिए। ब्लड प्रेशर यदि 130/80 से ज्यादा हो तो दवाएं भले ही शुरू न करें, लेकिन नमक कम खाने, योग-ध्यान और व्यायाम से इसे नियंत्रित रखने की जरूरत है। इसके बाद भी नियंत्रित नहीं हो तो दवा शुरू की जानी चाहिए। मरीज सामान्य है तो 140/90 तक बिना दवा दूसरे उपायों से बीपी को नियंत्रित करने की कोशिश कर सकते हैं।

बीपी में बाहरी गाइडलाइन मानना ठीक नहीं

सीएसआइ के सदस्य और मप्र के मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. आरएस शर्मा ने कहा कि अमेरिकी लोगों की नसें बड़ी होती हैं। उनकी जीवनशैली भी अलग है। ऐसे में यहां हृदय रोग विशेषज्ञों को सीएसआइ द्वारा तय मापदंड का पालन करना चाहिए। हां, रीडिंग से ज्यादा कई बार यह देखना अहम होता है कि संबंधित अंगों पर कितना असर हो रहा है।

60 साल से ज्यादा उम्र में 160/90 है सामान्य

गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल के हृदय रोग विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. आरएस मीना ने कहा कि 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति के लिए बीपी का सामान्य स्तर 140/90 माना जाता है। भारत सरकार ने भी गैर संचारी रोग कार्यक्रम के तहत इसे ही सामान्य मापदंड तय किया है। लेकिन 60 साल से ऊपर की उम्र में नसों में बदलाव होने लगता है। इनके लिए 160/90 को भी सामान्य माना जाता है। बीपी का निचला स्तर 90 से ऊपर किसी भी उम्र में खतरनाक है।

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