रायपुर। छत्तीसगढ़ में एकबार फिर चिटफंड कंपनियां सक्रिय हो गई हैं। मगर इसबार उन्होंने ठगी का तरीका बदल लिया है। अब कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट फिश फार्मिंग के जरिए लाखों रुपए कमाने का सपना दिखाकर कंपनी के एजेंट अब किसानों से मोटी रकम का निवेश करवा रहे हैं।

वर्तमान में निवेशकों को हर महीने कंपनी से मुनाफे के रूप में मोटी रकम मिल भी रही है। मगर कब तक, इस पर लोगों को संदेह है। यही वजह है कि सरकार ने ऐसी कंपनियों से लोगों को बचने की सलाह दी है।

कॉन्ट्रैक्ट फिश फार्मिंग के नाम पर किसानों से हो रहे धोखा-धड़ी

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में कुछ कॉन्ट्रैक्ट फिश फार्मिंग कंपनियां मछली पालन में भारी मुनाफे का झांसा देकर किसानों से लाखों रुपए का निवेश करवा रही हैं। बिलासपुर, रायपुर सहित कुछ अन्य जिलों में आपको ऐसे तालाब देखने को मिल जाएंगे जो चारों तरफ से नेट से घिरे हुए हैं। इनमें मछली पालन किया जा रहा है।

साढ़े पांच लाख रुपए के निवेश समेत देनी पड़ी आधी एकड़ जमीन

बिलासपुर के गतौरा गांव के पास ऐसे ही एक तालाब के मौजूद चौकीदार रमेश कुमार से टीआरपी ने बात की। रमेश ने बताया कि उसके मालिक ने किसी कंपनी को जमीन मछली पालन के लिए दी है। फिर टीआरपी ने जमीन के मालिक मोहनलाल से बात की। मोहन लाल ने बताया कि हरियाणा की एक कंपनी है, जिसमें साढ़े पांच लाख रुपए का निवेश करना पड़ता है। साथ ही अपनी आधी एकड़ जमीन देनी पड़ती है। इसके बाद कंपनी अपने खर्चे पर जमीन पर तालाब खुदवाती है और उसमें मछली का पालन करती है। निवेश करने वाले को 50 हजार रुपए महीने देती है, ये रकम पूरे 15 महीने तक दी जाती है। कंपनी ने अपनी स्कीम बदलते हुए अब 20 महीने तक 50 हजार रुपए हर महीने देने की बात कही है।

अब नहीं आ रहे हैं रुपए…

मोहन लाल ने बताया कि उसे बीते 3 महीने से उन्हें रुपए नहीं आ रहे हैं। इससे पूर्व लगातार कई महीनों तक पैसे आए और कुल साढ़े 4 लाख रुपए मिले। इसी के चलते उसने भरोसा करके अपने कुछ रिश्तेदारों के रुपए भी कंपनी में लगवा दिए। इन्हें भी कुछ महीनों तक रुपए मिले लेकिन अब नहीं आ रहे हैं। लाखों रुपए कमाने के लालच में निवेश करने के बाद अब मोहन लाल परेशान हैं। वे बताते हैं कि कंपनी के अधिकारियों ने अब उनका फोन उठाना बन्द कर दिया है।

मछलियां भी नहीं बढ़ रहीं..?

कॉन्ट्रैक्ट फिश फार्मिंग करने वाली कंपनी दावा करती है कि वह आधा एकड़ जमीन पर तालाब खोदकर जब मछली पालन करेगी तब वह 40 हजार मछली बीज डालेगी। जिनका वजन 1 वर्ष में लगभग एक किलो ग्राम का हो जाएगा। ऐसे में अगर 30 हजार मछलियां भी तालाब में बचती हैं तो कंपनी को लगभग 30 लाख रुपए की आय होगी। मछलियों को दाना देने का काम भी कंपनी का ही है। यह सुनकर लोग इसी तरह कंपनी के झांसे में आ रहे हैं।

मोहन लाल ने बताया कि उसके तालाब की मछलियां ज्यादा नहीं बढ़ रही हैं, क्योंकि कंपनी द्वारा मछलियों को पर्याप्त खुराक ही नहीं दी जा रही है। मोहनलाल को जानकारों ने बताया कि इतने बड़े तालाब में पल रही मछलियों के लिए हर रोज लगभग 25 किलो दाने दिए जाने चाहिए मगर कंपनी के लोग बमुश्किल 5 किलो दाना ही मछलियों को दे रहे हैं। जिसके चलते ही मछलियों का ग्रोथ नहीं हो रहा है। कंपनी ने शुरू में दाने का जो स्टॉक दिया था, उसी से काम चल रहा है। अब कंपनी न तो दाने भेज रही है और न ही चौकीदार का वेतन।

प्रति एकड़ 2 लाख रुपए की हो सकती है कमाई…

कॉन्ट्रैक्ट फिश फार्मिंग वाली कंपनी जहां केवल आधे एकड़ जमीन पर बने तालाब में 30 लाख रुपए लाभ का दावा करती हैं। वहीं मत्स्य विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि किसान अगर एक एकड़ में बने तालाब में मछलियां पालता है। तो उसे साल भर में अधिकतम दो लाख रुपए की आय हो सकती है। छत्तीसगढ़ सहकारी मत्स्य महासंघ के कार्यालय में पदस्थ कार्यपालन यंत्री पी के भारती बताते हैं कि इन दिनों कुछ कंपनियों द्वारा किसानों को बेवकूफ बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वैसे यह सच है कि मछली पालन में खेती – बाड़ी से भी ज्यादा लाभ होता है, और इसी वजह से सरकार किसानों को मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मगर मछली पालन से इतना भी लाभ नहीं होता है, जितना कि फिश फार्मिंग कंपनियां बता रहीं हैं। किसान अगर अच्छे से मछली पालन करे तो उसे प्रति एकड़ के हिसाब से 2 लाख रुपए का लाभ हर वर्ष होगा।

धोखाधड़ी से बचने लोगों को किया गया है आगाह

मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी पी के भारती ने बताया कि पूर्व में कुछ कंपनियों द्वारा किसानों को झांसा देकर रुपए निवेश कराए जाने की जानकारी मिली थी, जिसके बाद विभाग द्वारा प्रचार- प्रसार माध्यमों से लोगों को इस तरह के निवेश से बचने की सलाह दी गई है। विभाग ने लोगों से की गई अपील में यह भी बताया है कि फिश कंपनियां जितना लाभ बता रही हैं, उतना संभव ही नहीं है।

चिटफंड कंपनियों का दूसरा रूप

फिश फार्मिंग के नाम पर जो कंपनियां सक्रिय हुई है वह दरअसल चिटफंड कंपनियों का ही दूसरा रूप हैं। पूर्व में चिटफंड कंपनियों द्वारा लोगों को भारी मुनाफा बताकर रुपयों का निवेश कराया जाता था। वही काम वर्तमान में फिश फार्मिंग कंपनियां लोगों को झांसे में लेकर लाखों रुपए अपनी कंपनी में जमा करवा रही हैं।

एजेंटों के माध्यम से चला रहे हैं स्कीम

फिश फार्मिंग कंपनियों के एजेंट जगह-जगह सक्रिय हैं। जो ऐसे किसानों अथवा पूंजीपतियों को तलाशते हैं जिनके पास जमीन हो, और वे थोड़े सक्षम हों। ऐसे लोग ज्यादा लाभ कमाने के फेर में इनके झांसे में आकर गाढ़े पसीने की कमाई तथाकथित कंपनियों में लगा रहे हैं।

इस संबंध में हमने कंपनियों के कुछ एजेंटों से नंबर लेकर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया, मगर नंबर नॉट रिचेबल आता रहा। यू ट्यूब पर ऐसी कई कंपनियां सक्रिय हैं जो फायदे गिनाकर अपनी कंपनी से जुड़ने को कह रहीं हैं। वहीं ऐसे लोग भी हैं जो वीडियो जारी करके लोगों को ऐसी कंपनियों से बचने की अपील भी कर रहे हैं। बहरहाल इस तरह की धोखाधड़ी से लोगों को बचाने के लिए पुलिस एवं प्रशासन को कठोर कार्रवाई करने की जरूरत है।

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