पटना। नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड अस्लपताल के 83 जूनियर डॉक्टरों ने कोरोना वायरस के चलते सरकार से 15 दिनों के कोरेंटाइन पर जाने की मांग की है। जिसके बाद इससे एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि इस समस्या का हल आखिर किस तरह निकाला जाए।

डॉक्टरों का कहना है कि वे अस्पताल के एक कोरोना पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आ गये हैं। उनके कई साथियों में कोरोना के लक्षण मिल रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने चिकित्सा कर्मियों को पर्याप्त संख्या में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) उपलब्ध कराने की मांग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से ट्विटर पर की है।

23 मार्च को लिखा था पत्र

एन-95 मास्क और पीपीई के अभाव में कोरोना वायरस का मुकाबला कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों में भारी आक्रोश है। एनएमसीएच के 83 जूनियर डॉक्टरों ने 23 मार्च को ही एक पत्र लिख कर 83 डॉक्टरों को 15 दिनों के कोरेंटाइन में भेजे जाने की मांग की थी, बाद में अस्पताल के अधीक्षक ने उस पत्र को बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को भेज दिया। हालांकि उन्हें अभी तक कोरेंटाइन में भेजे जाने की अनुमति नहीं मिली है।

नहीं मिल रहे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण

जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस से मुकाबले की जिम्मेदारी हम पर है, मगर हमें खुद ढंग के व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) नहीं मिल रहे। कोरोना वायरस से संक्रमण के लिए सुरक्षित माने जाने वाले एन-95 मास्क तो दुर्लभ ही हो गये हैं। उन्हें टू लेयर और थ्री लेयर वाले सामान्य मास्क से काम चलाना पड़ रहा है। वे कई दिनों से एन-95 मास्क और पीपीई किट की मांग कर रहे हैं, मगर उन्हें ये उपलब्ध नहीं कराये जा रहे।

जूनियर डॉक्टर दो दफा एन-95 मास्क और पीपीई के लिए सामूहिक प्रतिरोध कर चुके हैं। फिलहाल ज्यादातर डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी टू लेयर और थ्री लेयर मास्क से ही काम चला रहे हैं। पीपीई कभी कभार बहुत कम मात्रा में आता है और कुछ लोगों को मिलता है, कुछ ऐसे ही रह जाते हैं।

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