दत्तात्रेय होसबोले बने RSS में नंबर दो, जाने कैसे होता है सरकार्यवाह का चुनाव
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टीआरपी डेस्क। शुक्रवार को बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सर्वोच्च इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई। इस बैठक में संघ के नंबर दो का फैसला होना था। शनिवार को सर्वसम्मति से सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले को ये जिम्मेदारी दी गई। बता दें, वह अब भैयाजी जोशी की जगह लेंगे।

कोरोना संक्रमण को देखते हुए मात्र 450 प्रतिनिधि ही शामिल

हालांकि जोशी इस पद पर पिछले करीब 12 साल से थे। जिसके बाद अब होसबोले को RSS की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में नया सरकार्यवाह बनाया गया है। अब तक सुरेश भैयाजी जोशी 2009 से सरकार्यवाह यानी महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उन्होंने तीन साल पहले 2018 में भी पद छोड़ने की अपील की थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था।

वहीं संघ में होने वाले बड़े बदलावों के मद्देनजर बेंगलुरु की बैठक महत्वपूर्ण है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब हर तीन साल में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक नागपुर से बाहर हो रही है। आम तौर पर इस सभा में 1,500 प्रतिनिधि भाग लेते हैं, लेकिन इस बार कोरोनावायरस संक्रमण को देखते हुए मात्र 450 प्रतिनिधि ही बेंगलुरु में हैं। इसके अलावा करीब 1,000 प्रतिनिधि 44 स्थानों से वर्चुअल तौर पर बैठक से जुड़े हैं।

13 साल की उम्र में ही दत्तात्रेय होसबोले बन गए थे स्वयंसेवक

बता दें, दत्तात्रेय होसबोले कर्नाटक के शिमोगा के रहने वाले हैं। वह 1973 में RSS के संपर्क में आए। होसबोले 1975-77 तक चले जेपी आंदोलन में भी शामिल रहे और मीसा कानून के तहत 21 महीने के लिए जेल भी गए। जेल में उन्होंने हाथ से लिखित दो पत्रिकाओं का संपादन किया। दत्तात्रेय होसबोले की मातृभाषा कन्नड़ है, लेकिन वह हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, तमिल और मराठी के अलावा कई विदेशी भाषाएं भी जानते हैं। वह कन्नड़ भाषा की मासिक पत्रिका असीमा के संस्थापक और संपादक भी हैं। 1968 में 13 साल की उम्र में ही स्वयंसेवक बन गए थे।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में 15 साल तक रहे संगठन महामंत्री

1972 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े और 15 साल तक संगठन महामंत्री रहे।1978 में वह विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक कार्यकर्ता हो गए। अंडमान निकोबार द्वीप समूह और पूर्वोत्तर भारत में ABVP को आगे बढ़ाने का पूरा श्रेय इन्हीं को जाता है। वह करीब 2 दशकों तक ABVP के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रहे। इसके बाद करीब 2002-03 में संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख बनाये गए। 2004 में उन्हें संघ का अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख बनाया गया। वहीं 2009 से सह सर कार्यवाह थे।

हालांकि कोरोना महामारी की वजह से इस बार अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक काफी छोटी रखी गई है। वहीं इस बार की बैठक में देश भर से सिर्फ 500 से लेकर 550 वरिष्ठ स्वयंसेवकों को ही इसमें आमंत्रित किया गया है। आमतौर पर प्रतिनिधी सभा की बैठक में तीन हजार से ज्यादा वरिष्ठ पदाधिकारी भाग लेते हैं। RSS के हर प्रांत से भी सिर्फ सात-आठ पदाधिकारियों को ही इस बार आमंत्रित किया गया है।

कब होता है, सरकार्यवाह का चुनाव?

बता दें, सरकार्यवाह का चुनाव हर तीन साल में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में होता है। तीन साल का ही कार्यकाल भी होता है। आमतौर पर सभा की बैठक मार्च के दूसरे या तीसरे हफ्ते में 3 दिन के लिए होती है और शुक्रवार को शुरू होकर रविवार को खत्म होती है। इस बार यह बैठक दो दिन के लिए है और शनिवार को ही नए सरकार्यवाह की घोषणा हो गई।

जहां तक सालाना बैठक का सवाल है तो वह देशभर में कहीं भी हो सकती है। पर तीन साल में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक हमेशा से नागपुर में होती आई है। पिछले साल की सालाना बैठक बेंगलुरु में होनी थी, पर अंतिम क्षणों में उसे कैंसिल कर दिया गया था। उस समय तक कई प्रतिनिधि बेंगलुरु पहुंच भी चुके थे।

कैसे होती है, सरकार्यवाह की चुनाव प्रक्रिया ?

सरकार्यवाह का चुनाव आम तौर पर तीन दिन की बैठक में दूसरे दिन होता है। इस साल यह दो दिन की मीटिंग में भी दूसरे दिन ही हुआ। आम तौर पर सरकार्यवाह अपने कार्यकाल में किए गए कामों की जानकारी देता है। साथ ही सूचना देता है कि उसका कार्यकाल खत्म हो गया है, इस वजह से नया सरकार्यवाह चुना जाना चाहिए।

तब वरिष्ठ स्वयंसेवकों में से किसी को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया जाता है। कोई वरिष्ठ नेता नए सरकार्यवाह के नाम का प्रस्ताव रखता है। यह नाम आमतौर पर स्वीकार कर लिया जाता है और सरकार्यवाह को निर्वाचित घोषित किया जाता है। चुने जाने के बाद नया सरकार्यवाह ही अपनी टीम की घोषणा करता है। शनिवार को भी इसी तर्ज पर दत्तात्रेय होसबाले का नाम सामने रखा गया, जिस पर सभी ने सहमति दी।

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