देवस्थानम बोर्ड को उत्तराखंड सरकार ने किया भंग, सीएम पुष्कर सिंह धामी का फैसला

टीआरपी डेस्क। कृषि कानूनों की तरह देवस्थानम प्रबंधन कानून भाजपा के लिए गले की फांस बन गया था। अंततः उत्तराखंड सरकार ने चारधाम देवस्थानम बोर्ड एक्ट को वापस लेने का फैसला किया है। राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पिछले दिनों देवस्थानम बोर्ड को लेकर विभिन्न प्रकार के सामाजिक संगठनों, तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज के लोगों और विभिन्न प्रकार के जनप्रतिनिधियों से बात की है और सभी के सुझाव आए हैं।

उन्होंने कहा, “मनोहर कांत ध्यानी ने एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी। उस कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट दी है। जिस पर हमने विचार करते हुए फैसला लिया है कि हम इस एक्ट को वापस ले रहे हैं। आगे चल कर हम सभी से बात करते जो भी उत्तराखंड राज्य के हित में होगा उस पर कार्रवाई करेंगे।”

इस बोर्ड का गठन भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान हुआ था। साधु-संत इसका लगातार विरोध कर रहे थे। कहा जाता है कि इस एक्ट के विरोध के चलते रावत को सीएम पद गंवाना पड़ा था।

उत्तराखंड में भाजपा सरकार द्वारा लाया गया यह कानून, चुनावों से पहले ब्राह्मण वोटर की नाराजगी का बड़ा कारण बन सकता था. ऐसे में सीएम ने ये बड़ा ऐलान किया है। तीर्थ पुरोहित इस बात से खफा थे कि सरकार ने 2019 में जो देवस्थानम बोर्ड की घोषणा की थी, उसे वापस नहीं लिया जा रहा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपना कार्यभार संभालने के बाद 11 सितंबर, 2021 को तीर्थ पुरोहितों को बुलाकर आश्वस्त किया था कि 30 अक्टूबर तक इस मामले को सुलझा लिया जाएगा।

क्या था मामला

साल सितंबर 2019 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत बोर्ड को तैयार किया था। इसके जरिए सरकार ने चार धामों (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के अलावा 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों ले लिया। सरकार का बोर्ड बनाने की पीछे ये तर्क था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या इस क्षेत्र को पर्यटन और तीर्थाटन के नजरिए से बेहतर बताई गई है। इससे मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से हो सकेगा।

जानें मामले के अपडेट्स

27 नवंबर 2019 को उत्तराखंड चार धाम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी।
5 दिसंबर 2019 में सदन से विधेयक हुआ पास।
24 फरवरी 2020 से देवस्थानम बोर्ड के पुरोहितों ने विरोध करना शुरू किया।
11 सितंबर 2021 को सीएम पुष्कर धामी ने संतों को बुलाकर विवाद खत्म करने का आश्वसन दिया था।
30 अक्टूबर 2021 तक विवाद निपटाने का आश्वासन दिया का आश्वासन दिया गया था।

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