मंत्रालय

रायपुर। कोरोना महामारी के समय जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त होते ही प्रदेश में आज से आवश्यक सेवा संधारण और विच्छिन्नता निवारण कानून (ESMA) लागू कर दिया गया है। यह कानून स्वास्थ्य, स्वच्छता, बिजली, जल आपूर्ति और सुरक्षा सेवा में लगे कर्मचारियों पर लागू होगा। इसके बाद सरकारी आदेश की नाफरमानी अथवा कार्य बहिष्कार जैसी स्थितियों में जेल भी हो सकती है।

गृह विभाग के संयुक्त सचिव एन.डी. कुंदानी की ओर से जारी आदेश में विभाग ने 10 सेवाओं पर ESMA के प्रावधान लागू किये हैं। उन सेवाओं में समस्त स्वास्थ्य सुविधाएं, डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मी, स्वास्थ्य संस्थानों के सफाई कर्मी, मेडिकल उपकरणों की बिक्री, संधारण और परिवहन में लगे हुये लोग, दवाओं की बिक्री, संधारण और परिवहन में लगे हुये लोग और एम्बुलेंस सेवा प्रमुख है। अधिकारियों ने बताया, इस कानून के लागू हो जाने के बाद हड़ताल जैसी स्थितियों में कर्मचारी को जेल हो सकती है। उसकी सेवा भी समाप्त की जा सकती है।

इन पर भी लगा ESMA

सरकार ने पानी और बिजली की आपूर्ति, सुरक्षा संबंधी सेवाएं, खाद्य एवं पेयजल प्रावधान एवं प्रबंधन से जुड़े लोग और बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन से जुड़े लोगों को भी ESMA के दायरे में रखा है। यह सभी सेवाएं स्वास्थ्य और लोक स्वास्थ्य की सुरक्षा से जुड़ी हुई है।

दो दिन पहले जूनियर डॉक्टरों ने की थी हड़ताल

रायपुर के जवाहर लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टर मंगलवार को हड़ताल पर चले गये थे। उन्होंने प्रशासन पर गुणवत्ताहीन पीपीई किट, मास्क और ग्लव्स देने और कोविड ड्यूटी के बाद आइसोलेशन पीरियड नहीं देने के आरोप लगाये थे। बुधवार देर रात स्वास्थ्य मंत्री से चर्चा के बाद हड़ताली डॉक्टर काम पर वापस लौटे। हालांकि उन्होंने मांगे पूरी नहीं होने की स्थिति में एक मई से हड़ताल फिर से शुरू करने की चेतावनी दी है।

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