टीआरपी डेस्क। कोविड-19 के दोबारा से बढ़ रहे मामलों के बीच अमेरिका से आ रही एक खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। फ्लोरिडा शहर में डॉक्टरों ने एक ऐसी बच्ची के जन्म का दावा किया है। जिसके शरीर में जन्मजात नोबेल कोरोना वायरस के एंटीबॉडीज पाए गए हैं। खास बात यह है कि प्रसव के तीन हफ्ते पहले ही मां को कोविड-19 का टीका दिया गया था। डॉक्टरों के मुताबिक जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल से खून के नमूने को लेकर उसकी जांच की गई़, जिसमें नवजात के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी की पुष्टि की गई है।

स्वास्थ्य विज्ञान से संबंधित ईप्रिंट प्रकाशित करने वाली ‘मेडआर्काइव’ पर पोस्ट किए गए अध्ययन के अनुसार बच्ची की मां को गर्भकाल के 36वें सप्ताह में मॉडर्ना का टीका लगा था। इसके तीन सप्ताह बाद महिला ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। जन्म के समय मौजूद डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती को मॉडर्ना वैक्सीन के एक डोज देने के प्रभाव देखने को मिले हैं। अध्ययन के दौरान हमें नवजात के गर्भनाल से लिए गए सैंपल में सार्स सीओवी-2 एलजीजी एंटीबॉडी मिली है।
क्यों खास है यह अध्ययन
यह खबर कई मामलों में खास है। बच्ची के शरीर में जन्म से ही एंटीबॉडी पाए जाने का मतलब है कि वह कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित है। दूसरा, जन्म के समय से ही बच्चे के शरीर में एंटीबॉडी पाए जाने जैसा यह पहला मामला सामने आया है। चूंकि प्रसव के दौरान गर्भवती को वैक्सीन की खुराक दी गई थी, ऐसे में अब इस बारे में भी चर्चा शुरू हो गई है कि क्या मां के टीकाकरण के कारण बच्ची के शरीर में एंटीबॉडी पाई गई है?
मां से शिशुओं को मिल सकती है एंटीबॉडी
अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी’ ने अपने एक अध्ययन के दौरान पहले ही इस तरह का दावा किया था। शोधकर्ताओं ने बताया था कि कोविड-19 संक्रमण से बचाने वाले एंटीबॉडी गर्भवती महिलाओं से उनके बच्चों में भी स्थानांतरित हो जाते हैं। न्यूयॉर्क वील कॉर्नेल मेडिकल सेंटर में गर्भवती 88 महिलाओं के रक्त के नमूनों का विश्लेषण करके शोधकर्ताओं ने यह नतीजा निकाला था। इस अध्ययन को बच्ची की जन्म के खबर से पुष्टि मिलती हुई दिख रही है। हालांकि इसमें अभी और रिसर्च की जा रही है।