कचरों को महिलाओं ने अतिरिक्त कमाई का जरिया बनाया है। एक साल से समूह की महिलाओं ने कचरे के निस्तारण और यूजर चार्ज से 63 हजार रूपए कमाए हैं।

रायपुर। कहते हैं की चाह है तो राह है। अगर आपमें कुछ नया करने का जज्बा है तो यकीनन मंजिल तक पहुंचने वाले रास्ते मिल ही जाते हैं। हम सभी अपने घर में इतना कचरा फैलाते है की इसका असर पर्यावरण पर दिखने लगा है। हर एक अनुपयोगी वस्तु कचरा की श्रेणी में आ जाती है। जिसे हम खुले में फेंक देते हैं। मगर जशपुर जिले में सड़क पर पड़े कचरे को वहां की महिलाओं ने आय का स्त्रोत बनाया है। स्वच्छ भारत मिशन और मनरेगा के अभिसरण से बने सेग्रिगेशन शेड ने जशपुर जिले में काम कर रही ‘स्वच्छता दीदियां’ कचरे का निस्तारण कर गांव की सड़कों, गलियों और चौक-चौराहों को स्वच्छ रखने और प्लास्टिक एवं कूड़ा-करकट मुक्त ग्राम पंचायत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

पंचायत द्वारा निर्मित सेग्रिगेशन शेड (कचरा संग्रहण केंद्र) में समूह की 12 महिलाएं एक सालों से कार्य कर रही हैं। समूह की महिलाएं सफाई मित्र के रूप में घर-घर जाकर कचरा संकलित करती हैं। साथ ही सड़कों, गलियों और चौक-चौराहों पर फेंके जाने वाले कचरों को महिलाओं ने अतिरिक्त कमाई का जरिया बनाया है। एक साल से समूह की महिलाओं ने कचरे के निस्तारण और यूजर चार्ज से 63 हजार रूपए कमाए हैं।

Swachh Bharat Mission and MGNREGA
कचरों को महिलाओं ने अतिरिक्त कमाई का जरिया बनाया है। एक साल से समूह की महिलाओं ने कचरे के निस्तारण और यूजर चार्ज से 63 हजार रूपए कमाए हैं।

कबाड़ और कांच से कमाए 63 हजार रुपए

ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन केन्द्र में वे संकलित कचरा में से उनकी प्रकृति के हिसाब से उन्हें अलग-अलग करती हैं। कूड़े-कचरे के रूप में प्राप्त पॉलीथिन, खाद्य सामग्रियों के पैकिंग रैपर, प्लास्टिक के सामान, लोहे का कबाड़ एवं कांच जैसे ठोस अपशिष्टों को अलग-अलग करने के बाद बेच दिया जाता है। शेड में एकत्रित ठोस कचरे की बिक्री से समूह ने अब तक 28 हजार रूपए, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन से हर घर से प्रति माह 10 हजार रूपए दुकानदारों से प्रति दुकान हर महीने 20 रूपए का यूजर चार्ज लिया जाता है। बीते एक साल में समूह के पास 35 हजार रूपए का यूजर चार्ज इकट्ठा हुआ है।

सरल नहीं था कचरा संकलन का काम

कचरा संकलन तथा उसे अलग-अलग कर निस्तारित करने का काम इन महिलाओं के लिए सहज-सरल नहीं था। शुरूआत में जब वे रिक्शा लेकर कचरा संकलन के लिए घर-घर जाती थीं, तो लोग उन्हें ऐसे देखते थे जैसे वे कोई खराब काम कर रही हों। लोगों की हिकारत भरी नजरों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और ग्राम पंचायत के सहयोग से इस काम को जारी रखा। इनके काम से गांव लगातार साफ-सुथरा होते गया, तो लोगों का नजरिया भी बदलने लगा। अब गांववाले इन्हें सम्मान के साथ ‘स्वच्छता दीदी’ कहकर पुकारते हैं।

स्वच्छता अभियान से बदल रही गांव की तस्वीर

समूह की सचिव सुनीता कुजूर ने बताया की इस काम में गांव के छह परिवारों के 11 श्रमिकों रोजगार प्राप्त हुआ था। इसके लिए उन्हें 13 हजार रूपए से अधिक का मजदूरी भुगतान किया गया। मनरेगा अभिसरण से निर्मित इस परिसम्पत्ति से गांव में स्वच्छता अभियान को नई दिशा मिली है। साथ ही गांव की 12 महिलाओं को कमाई का अतिरिक्त साधन भी मिला है। ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर ग्रामसभा के अनुमोदन के बाद मनरेगा से दो लाख 69 हजार रूपए और स्वच्छ भारत मिशन से एक लाख 85 हजार रूपए के अभिसरण से कुल चार लाख 54 हजार रूपए की लागत से सेग्रिगेशन शेड (ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन केन्द्र) बनाया गया है।