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रायपुर। छत्तीसगढ़ की एक युवती को अनुकंपा नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट से जीत मिली है। प्रधान पाठक पिता की मौत के बाद उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवदेन किया था। जिसे जिला शिक्षा अधिकारी ने अस्वीकार कर दिया था। जिसके बाद हाईकोर्ट में याचिका लगाने के बाद उन्हें अंत में न्याय मिला।

दरअसल, बालोद जिले के ग्राम-कन्याडबरी निवासी कुमारी प्रियंका गजभिये के पिता अमृत राव गजभिये प्रधान पाठक के पद पर पदस्थ थे। सेवाकाल के दौरान उनकी मृत्यु के बाद प्रियंका गजभिये का अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन इस आधार पर खारिज़ कर दिया गया कि उसके बड़े भाई भीमराव गजभिये पुलिस कान्सटेबल के पद पर पदस्थ है। जिला शिक्षा अधिकारी, बालोद द्वारा की गई कार्यवाही से क्षुब्ध होकर प्रियंका गजभिये द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं लक्ष्मीन कश्यप के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई।

अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं लक्ष्मीन कश्यप द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता के बड़े भाई का मई 2015 में विवाह हो गया एवं वे अपनी पत्नी एवं पुत्र के साथ पृथक से रहते हैं। याचिकाकर्ता एवं उनकी माता को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं करते हैं।

याचिकाकर्ता द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष अपने परिवार के राशनकार्ड को भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें सिर्फ याचिकाकर्ता प्रियंका गजभिये एवं उनकी माता का नाम दर्ज है, जबकि बड़े भाई जो शासकीय सर्विस में हैं, उनके परिवार से पृथक रहने के कारण राशन कार्ड में उनका नाम दर्ज नहीं है।

उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के बाद जिला शिक्षा अधिकारी, बालोद द्वारा जारी किये गए आदेश को निरस्त करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी, बालोद को यह निर्देशित किया गया कि वे उक्त तथ्य के सत्यता की जांच करें एवं जांच के बाद यदि यह पाया जाता है कि याचिकाकर्ता के भाई जो शासकीय सर्विस में हैं, उनके द्वारा परिवार को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की जाती है तो याचिकाकर्ता को सहायक ग्रेड-3 के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाए।

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