कोरोना से होने वाली मौत

टीआरपी डेस्क। कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े छिपाने को लेकर भारत की दुनियाभर में बदनामी हो रही है। बिहार सरकार द्वारा मौतों के आंकड़े में संशोधन किए जाने के बाद भारत में रोज होने वाली मौतों का भी रिकॉर्ड बदल गया है। स्वास्थ्य विभाग ने अचानक 5,458 के आंकड़े को बदलकर 9,429 कर दिया।

8 जून तक के मौत के आंकड़े में 3243 की संख्या जोड़ दी गई। इस वजह से बुधवार को न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मौतों का आंकड़ा सामने आया। देश और विदेश में मौकों के आंकड़े पर बहस छिड़ने के बाद बिहार की सरकार नए सिरे से आंकड़े पेश करने को विवश हो गई है। बिहार ने जब एक ही दिन में इतनी मौतें जोड़ दीं तो बुधवार का आंकड़ा भी बढ़कर 6148 हो गया।

महाराष्ट्र में अब तक 1 लाख 4 हजार से ज्यादा लोगों की जा चुकी है जान 

इसके बाद न केवल बिहार सरकार बल्कि कई अन्य राज्य सरकारों पर सवाल उठाए गए। हालांकि अभी नीतीश सरकार ने ही सच स्वीकार किया है। दरअसल सरकार उन्हीं मौतों को आंकड़े में शामिल कर रही थी जिनकी मौत या तो कोविड वॉर्ड में हुई है या फिर जिनका कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार किया गया।

पटना की बात करें तो 7 जून तक यह संख्या 1223 बताई गई थी जिसे 8 जून को बढ़ाकर 2293 कर दी गई। राजधानी में कोरोना के आंकड़ों के साथ इस तरह छेड़छाड़ हुई तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

महाराष्ट्र में अब तक 1 लाख 4 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। अप्रैल की शुरुआत से अब तक लगभग इस आंकड़े में 2 लाख मौतें जोड़ी जा चुकी हैं।

इस तरह बदल गए मौत के आंकड़े

स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि बुधवार को जारी किए गए आंकड़े में होम आइसोलेशन, कोविड केयर सेंटर, प्राइवेट अस्पताल और अस्पताल पहुंचने के दौरान होने वाली मौतों को भी शामिल किया गया है। बिहार के चार बड़े सरकारी अस्पतालों में ही दो महीने में 1470 लोगों की कोरोना से मौत बताई गई। जब कि अंतिम संस्कार की बात करें तो केवल तीन श्मशान पर 3 हजार से ज्यादा शव जलाए गए।

अब भी गुप्त हैं मौतें!

अभी जारी किया गया आंकड़ा भी सटीक नहीं है। अगर फिर से संशोधन होता है तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।राजधानी पटना के ही ऐसे कई अस्पताल हैं जिन्होंने अब तक पूरा डेटा उपलब्ध नहीं करवाया है। सरकार ने कई अस्पतालों को नोटिस जारी करके तीन दिन के भीतर आंकड़े मांगे हैं।

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