मंत्री के बदलते ही बदला टीकों का गणित.. जुलाई में कोवैक्सिन की 7.5 करोड़ डोज मिलनी थीं, मिलेंगी 2 करोड़

टीआरपी डेस्क। कोरोना के तेजी से बढ़ते केस और वैक्सीन की लगातार हो रही कमी को देखते हुए मिक्स डोज ( Mix Dose of Coronavirus Vaccine ) पर विचार हो रहा है। यानी कि पहले जिस कंपनी की वैक्सीन ली है, दूसरी डोज जरूरी नहीं कि वही दी जाए। समय पर जो उपलब्ध हो जाए, वह लोगों को मुहैया कराया जाए। इसकी यही अवधारणा है। यह कॉनसेप्ट अमीर या विकसित देशों के लिए नहीं है क्योंकि वहां आबादी ज्यादा नहीं है और वे अपने कोटे का इंतजाम भी कर लेंगे। यह कॉनसेप्ट तीसरी दुनिया के गरीब और पिछड़े देशों के लिए है।

भारत भी इसी लाइन में है क्योंकि यहां की आबादी ज्यादा है। अभी जिस रफ्तार से वैक्सीनेशन का काम चल रहा है, उस हिसाब से पूरी आबादी को वैक्सीन देने में साल भर लग जाएंगे। वजह यह है कि पहली डोज के बाद उसी कंपनी की दूसरी डोज के लिए इंतजार करना होगा। कब उसका निर्माण होगा और कब तक लोगों को मुहैया हो पाएगी।

क्या होंगे साइड इफेक्ट्स

मिक्स डोज पर कुछ रिसर्च हुए हैं और उसमें पता चला है कि मरीजों में साइड इफेक्ट देखने को मिले हैं। थकान और सिरदर्द इसमें आम बात है, लेकिन यह शुरुआती रिजल्ट है। अभी इस पर रिसर्ज जारी है और इसे कॉकटेल वैक्सीन का नाम दिया जा रहा है। कई देश इस पर काम कर रहे हैं। चीन अपनी कुछ वैक्सीन को मिलाकर कॉकटेल वैक्सीन देने की तैयारी में है। इसी तरह कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज भी बनाई जा रही है। साइड इफ्केट की जहां तक बात है तो कंपनियां इसे गहराई से देख रही हैं और इसकी पड़ताल कर रही हैं।

रिसर्च में क्या मिला

जिन लोगों को एस्ट्रा जेनेका की पहली खुराक दी गई, उन्हें 4 हफ्ते बाद फाइजर की वैक्सीन दी गई। ऐसे लोगों में हल्के साइड इफेक्ट दिखे हैं लेकिन ये घातक नहीं बताए जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने दुनिया की मशहूर मेडिकल-साइंस पत्रिका दि लांसेट में इसकी रिपोर्ट प्रकाशित की है। कई गरीब देशों में यह प्रयोग चल रहा है जहां टीके की मिक्स डोज ( Mix Dose of Coronavirus Vaccine ) देने की तैयारी हो रही है। अगर ऐसा होता है तो वैक्सीन की कमी से छुटकारा मिलेगा। दूसरी डोज के लिए इंतजार नहीं करना होगा कि कब बनेगा और लोगों को कब मिलेगी। समय पर जो टीका उपलब्ध हो जाए, लोगों को उसे दिया जा सकता है।

सभी देश आए साथ

कुछ देशों में यह काम शुरू भी हो गया है जहां बिना मैचिंग वाले टीके दिए जा रहे हैं। वहां की सरकारें टीके का इंतजाम कर रही हैं और स्टोर कर लोगों को टीके लगा रही हैं। संकट चूंकि पूरी मानवता पर है, इसलिए टीके के इस प्रयोग और उपलब्धता में बड़े-बड़े देश आगे आ रहे हैं। फ्रांस में ऐसा देखा जा रहा है कि जिन लोगों को एस्ट्रा जेनेका की पहली डोज दी गई, उन्हें फाइजर और बायोएनटेक की दूसरी डोज लेने के लिए कहा जा रहा है। अब लोगों पर निर्भर करता है कि वे लेते हैं या नहीं। लें तो ठीक नहीं तो दूसरी ‘सेम डोज’ के लिए इंतजार करना होगा।

ऑक्सफोर्ड पीडियाट्रिक्स एंड वैक्सीनोलॉजी के प्रोफेसर मैथ्यू स्नेप ने ‘ब्लूमबर्ग’ से कहा कि मिक्स डोज ( Mix Dose of Coronavirus Vaccine ) को लेकर नए-नए रिजल्ट सामने आ रहे हैं जिसके बारे में हमने कभी नहीं सोचा था। इसका इम्युनिटी पर कितना गहरा असर होगा, अभी इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। अभी रिसर्च शुरुआती चरण में है इसलिए कुछ नहीं कहा जा सकता। कुछ हफ्ते में मिक्स डोज की फाइंडिंग के बारे में पता चलेगा। मैथ्यू स्नेप ही अभी मिक्स डोज पर चल रही रिसर्च की अगुवाई कर रहे हैं।

कोई बड़ा खतरा नहीं

अभी तक के रिसर्च से कोई सुरक्षा के खतरे नहीं दिखे हैं और साइड इफेक्ट भी कुछ दिनों में खत्म हो गया। एक साइड इफेक्ट यह देखने में आ रहा है कि लोगों में थकान और सिरदर्द है। इससे लोगों के काम पर असर होगा। कहा जा रहा है कि किसी हॉस्पिटल में सभी नर्स को एक साथ यह डोज नहीं दे सकते। रिसर्च में पता चला है कि जिन लोगों को मिक्स डोज दी गई है उनमें 10 परसेंट लोग भारी थकान के शिकार हुए। जबकि सिंगल डोज वैक्सीन से यह थकावट बस 3 परसेंट लोगों में पाई गई। इस रिसर्च में शामिल होने वाले लोगों की उम्र 50 और उससे ऊपर है। ऐसी आशंका है कि नए उम्र के लोगों में यह साइड इफेक्ट और गंभीर दिखे।

वैक्सीन का अंतराल बढ़ेगा

शोधकर्ता दो वैक्सीन ( Mix Dose of Coronavirus Vaccine ) के बीच का समय भी बढ़ाना चाहते हैं। डोज का इंटरवल 12 हफ्ते तक ले जाने की तैयारी है। इससे वैक्सीन निर्माण में वक्त मिलेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी जा सकेगी। रिसर्च इस पर भी चल रही है कि जिस व्यक्ति को मोडर्ना की वैक्सीन दी गई है उसे नोवामैक्स की वैक्सीन दी जाए। सवाल है कि क्या सभी वैक्सीन की मिक्स डोज बनाई जा सकती है? इसके बारे में कहा गया है कि सभी वैक्सीन की मिक्स डोज बना भी लें तो उसकी इफीकेशी देखनी होगी। कोई जरूरी नहीं कि सभी वैक्सीन एक तरह काम करे। लेकिन दो वैक्सीन में इस्तेमाल होने वाले स्पाइक प्रोटीन की मात्रा एक हो तो मिक्स डोज सफल हो सकती है। मिक्स डोज को साइंस में हेटरोलोगस बूस्ट कहते हैं।

महाराष्ट्र की घटना

महाराष्ट्र में एक घटना सामने आई है जिसमें एक बुजुर्ग को अलग-अलग वैक्सीन लगा दी गई। कहा जा रहा है कि वैक्सीन गलती से दे दी गई लेकिन बुजुर्ग में कुछ साइड इफेक्ट दिखे हैं जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की बड़ी किरकिरी हुई है। इस बुजुर्ग को पहली डोज कोवैक्सीन को दी गई थी लेकिन दूसरी डोज कोविशील्ड की लग गई। इसके बाद बुजुर्ग के शरीर में रैसेज देखने में आ रहे हैं और बुखार भी है। बुजुर्ग को स्वास्थ्य विभाग अभी कड़ी निगरानी में रखे हुए है।

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