नई दिल्ली। Electricity Distribution Company केंद्र सरकार ने बिजली वितरण लाइसेंस खत्म करने की तैयारी कर ली है। बिजली अधिनियम, 2003 में संशोधन की सरकार की योजना है, जिसके तहत नियामक की मंजूरी के बाद कोई भी कंपनी किसी भी क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति कर सकेगी। इस कदम का मकसद मौजूदा बिजली वितरण कंपनियों (Discom) का एकाधिकार खत्म करना है, जिनमें से ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र की हैं।

नई व्यवस्था के तहत निजी क्षेत्र के डिस्कॉम को सभी इलाकों में वितरण की इजाजत होगी। प्रस्तावित संशोधन विद्युत विधेयक, 2021 में शामिल किए जाएंगे, जो संसद के चालू सत्र में ही पेश किया जाएगा। विधेयक के मसौदे में नई धारा 24 (ए) जोड़ी गई है, जो कहती है, निर्धारित पात्रता शर्तें पूरी करने वाली और उचित आयोग के पास पंजीकृत कोई भी कंपनी अपने क्षेत्र में खुद की वितरण व्यवस्था या दूसरी वितरण कंपनी की वितरण व्यवस्था का इस्तेमाल कर उपभोक्ताओं को बिजली दे सकती है बशर्ते अधिनियम के प्रावधानों का पालन हो रहा हो।

एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक नए संशोधन विधेयक के मसौदे में वितरण लाइसेंस शब्द हटाकर उसकी जगह वितरण कंपनी लिखा गया है। इसमें दो या उससे अधिक डिस्कॉम को एक ही इलाके में पंजीकरण और बिजली वितरण की अनुमति देने का प्रस्ताव भी है। किसी एक क्षेत्र में मौजूदा बिजली खरीद करार को सभी डिस्कॉम साझा करेंगी और वे अलग से बिजली खरीदने का करार भी कर सकेंगी।

वित मंत्री ने बजट भाषण में की थी घोषणा

आपको याद दिला दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बजट भाषण में इसकी घोषणा करते हुए डिस्कॉम के एकाधिकार का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर उपभोक्ताओं को विकल्प उपलब्ध कराने की जरूरत है।

वित मंत्री ने कहा था कि उपभोक्ताओं को मनचाही वितरण कंपनी चुनने का विकल्प देने का खाका तैयार होगा। पिछले 15 साल में चार सुधार योजनाएं आने के बाद भी देश भर की सरकारी डिस्कॉम की वित्तीय और परिचालन हालत खस्ता है। बिजली कंपनियों का 1.27 लाख करोड़ रुपए बकाया था।