Smart City Projects multi level parking
स्मार्ट सिटी सर्जरी 7 -अधर में लटकी पार्किंग व्यवस्था, आम जनता के लिए अलग तो आला-अधिकारियों को अलग रवैया अपना रहा यातायात प्रवंधन

दामिनी बंजारे

रायपुर। शहर में आम लोगों की सुविधाओं को बढ़ाने के 2015 से स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत कई योजनाएं जारी है। जिसके तहत में नेकी की दीवार, तेलीबांधा झील शुद्धिकरण और कायाकल्प, शहीद स्मारक, टाउन हॉल, नालंदा परिसर, हेरिटेज वॉक, आनंद समाज पुस्तकालय, बापू की कुटिया, इंटर स्टेट बस टर्मिनल, वाटर एटीएम, आईटीएमएस, साइकिल ट्रैक, मल्टी लेवल पार्किंग, तालाबों का विकास, जवाहर बाजार शामिल हैं।

इनमें से कई योजनाएं शुरू तो हो चुकी हैं। इसके बावजूद भी इनका लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है। आज टीआरपी की टीम इस भाग में स्मार्ट सिटी का एक प्रोजेक्ट ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए तैयार किए गए मल्टी लेवल पार्किंग का हाल बताने जा रही है।

राजधानी में यातायात व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए राजधानी के अलग-अलग क्षेत्रों में जहां ट्रैफिक का दबाव ज्यादा होता है वहां करीब 43 करोड़ की लागत से पार्किंग स्थल का निर्माण किया गया है।

जयस्तंभ मल्टीलेवल पार्किंग-

लागत- 15 करोड़ रुपये

पार्किंग सुविधा- 240 कार, 350 से अधिक दोपहिया

तालाब में तब्दील हुआ जय स्तंभ मल्टी लेवल पार्किंग

मल्टीलेवल पार्किंग के आसपास मालवीय रोड, बांबे मार्केट, एमजी रोड, गोलबाजार, रवि भवन जैसे आधा दर्जन से ज्यादा व्यवसायिक परिसर हैं, जहां रोजाना बड़ी संख्या में कारोबारियों तथा इन संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों का आना-जाना लगा रहता है। इसके बावजूद कम ही लोग पार्किंग का उपयोग करते हैं। मगर इस ओर नगर निगम ध्यान नहीं देता। वहीं इसके उपर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का कार्यालय भी बना दिया गया है। जिसके कारण यहां गाड़ी पार्क करने की जगह नहीं है। साथ ही इसके निचले दो तल में बरसात में पानी भर जाता है।

मल्टी लेवल पार्किंग कलेक्टरेट

लागत- 28 करोड़ रुपये

पार्किंग सुविधा- 450 चार पहिया, 200 दोपहिया

100 का आकड़ा भी मुश्किल से होता है पार

इस मल्टीलेवल पार्किंग का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती 20 अगस्त के दिन किया गया। बता दें कि इस मल्टी लेवल पार्किंग की तुलना दुबई के बुर्ज खलीफा से की गई। छह फ्लोर के इस मल्टीलेवल पार्किंग भवन में करीब सात सौ बड़ी गाड़ियां रखने की जगह है। मगर आज भी दर्जनों लोग ही इस पार्किंग का उपयोग गाड़ी पार्क करने के लिए करते हैं। वहीं पास में ही कलेक्टरेट कार्यालय है जहां परिसर में ही अधिकारी अपने वाहन पार्क करते हैं।

माननियों के लिए अलग हैं नियम, पार्किंग से छूट

शहर के विभिन्न स्थलों में पार्किंग स्थल तो बनाए गए हैं। मगर यह आम लोगों के लिए ही है। दरअसल आज भी अधिकारी अपने वाहनों को पार्क करने के लिए कार्यालय परिसर का ही उपयोग करते हैं। वहीं आम लोगों जब किसी शासकीय कार्यालय में अपने वाहन पार्क करते हैं तो उनसे या तो चालान लिया जाता है या फिर उनके वाहन ही उठा लिए जाते हैं।

नोटः टीआरपी की टीम स्मार्ट सिटी सर्जरी के नाम से आपके समक्ष कई योजनाओं की हकीकत इसी तरह अलग-अलग भागों में लेकर आ रही है। इन योजनाओं के संबंध में जानने के लिए हमसे आगे भी जुड़े रहें और इसकी अगली कड़ी भी जरूर पढ़ें।

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