ममता बनर्जी
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टीआरपी डेस्क। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच कर रहे मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने कलकत्ता हाईकोर्ट में बेहद गंभीर रिपोर्ट सबमिट किया है। आयोग ने हिंसा को लेकर अदालत से कहा कि बंगाल में कानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का कानून चलता है। बंगाल हिंसा के मामलों की जांच राज्य से बाहर की जानी चाहिए। जिसके जवाब में ममता बनर्जी ने कहा कि NHRC को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए। उसे चुनाव बाद हिंसा से संबंधित रिपोर्ट लीक नहीं करनी चाहिए थी, जो केवल उच्च न्यायालय में जमा करने के लिए थी।

ममता बनर्जी ने PM मोदी पर उठाए सवाल 

वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर प्रदेश का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अच्छी तरह जानते हैं कि यूपी में कानून का राज नहीं है। ऐसी हालत में वहां पर कितने आयोग भेजे जा चुके हैं? हाथरस से लेकर उन्नाव तक कई घटनाएं हो चुकी हैं। हालत यह हैं कि पत्रकारों को भी नहीं बख्शा गया, लेकिन उन्होंने बंगाल को बदनाम किया। ज्यादातर हिंसा चुनाव से पहले हुई है।

इससे पहले हाईकोर्ट ने भी लगाई फटकार 

गौरतलब है कि इससे पहले 2 जुलाई को कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना था कि बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा हुई। कोर्ट ने ममता सरकार को गलत ठहराते हुए कहा था कि जब लोग मारे जा रहे थे और नाबालिगों से रेप हो रहा था तो सरकार इसे नकार रही थी और वह गलत थी। हिंसा का खामियाजा भुगतने वाले लोगों के बीच बंगाल सरकार विश्वास का माहौल बनाने में नाकाम रही है।

इसके बाद 13 जुलाई को कलकत्ता हाईकोर्ट ने भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के शव के DNA टेस्ट का आदेश दिया था। बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में बेलियागाठा के अभिजीत सरकार की हत्या कर दी गई थी। आरोप लगाया गया था कि अभिजीत का मर्डर तृणमूल समर्थकों ने किया है। इसके बाद उसके परिवार ने हाईकोर्ट में अपील की।

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