न्याय और शांति के लिए निकली पदयात्रा का हुआ समापन, आदिवासियों ने जल, जंगल, जमीन का मांगा अधिकार
न्याय और शांति के लिए निकली पदयात्रा का हुआ समापन, आदिवासियों ने जल, जंगल, जमीन का मांगा अधिकार

धमतरी। गांधीवादी संगठन एकता परिषद् ने छत्तीसगढ़ के 17 जिलों के साथ ही देशभर के 100 जिलों में न्याय और शांति के लिए पदयात्रा का आयोजन किया। 10 दिनों की इस पदयात्रा का आज जिला मुख्यालयों में समापन हुआ। इसी कड़ी में धमतरी में आयोजित कार्यक्रम में एकता परिषद् के प्रमुख राजगोपाल भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि न्यायपूर्ण व्यवस्था से ही देश में शांति आ सकती है।

हजारो की संख्या में शामिल हुए आदिवासी

धमतरी जिले के बेलोरा गाँव से 21 सितम्बर को शुरू हुई यह पदयात्रा आज धमतरी जिला मुख्यालय के गाँधी मैदान में संपन्न हुई। इस मौके पर हुई सभा के दौरान बड़ी संख्या में वनांचल में रहने वाले आदिवासियों ने वन अधिकार पट्टे के लिए आवेदन एक बार फिर प्रशासन के समक्ष जमा कराया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बरसो से काबिज होने के बावजूद उन्हें जमीन का मालिकाना हक़ नहीं मिला है।

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर समापन

एकता परिषद् के संयोजक राजगोपाल ने मिडिया से चर्चा में बताया कि 21 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस के दिन देश भर के 100 जिलों में इस पदयात्रा की शुरुआत हुई। वहीं इसका समापन आज अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के दिन किया गया। एकता परिषद् द्वारा लम्बे समय से न्याय और शांति के लिए मुहिम चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि न्यायपपूर्ण व्यस्था से ही देश में शांतिपूर्ण व्यवस्था आ सकती है।

एकता परिषद् के संयोजक रमेश शर्मा ने बताया कि प्रदेश के 17 जिलों में अलग-अलग निकाली गई इन पदयात्राओं के मद्देनजर प्रमुख कार्यक्रम 02 अक्टूबर को प्रयोग आश्रम तिल्दा में होने जा रहा है, जिसमे राजयपाल अनुसुइया उइके बतौर मुख्य अतिथि शामिल हो रहीं हैं। इस कार्यक्रम में अनेक गाँधीवादी विचारक और आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले अनेक प्रमुख लोग भी उपस्थित रहेंगे।

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