रायपुर। प्रदेश को एकबार फिर हरियर छत्तीसगढ़ बनाने पर सरकार द्वारा जोर दिया जा रहा है। प्रदेश में हर वर्ष पौधरोपण के नाम पर हर साल लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। इसके बाद भी आज तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कलेक्टर-एसपी कॉफ्रेंस में कई निर्देश दिए। जिसमें अधिकारियों से पौधों को लगाने के साथ उन्हें बचाने पर ध्यान देने को कहा।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को कॉफ्रेंस में पौधरोपण के बाद पौधों को बचाने के लिए वन विभाग को फेंसिंग के साथ-साथ ड्रिप इरीगेशन या सिंचाई की व्यवस्था के निर्देश दिए। वहीं उन्होंने नदी किनारे पौधरोपण के लिए लक्ष्य तय कर जल्द काम शुरू करने के निर्देश दिए। वन विभाग की ओर से इंद्रावती, खारुन, अरपा और सकरी नदी के तटों पर पौधरोपण किया जाएगा। इसके अलावा लिफ्ट इरीगेशन के माध्यम से सिंचाई के लिए शबरी नदी के किनारे सोलर पंप स्थापित करने के निर्देश दिए।

बघेल ने अधिकारियों से भूमिगत जल का स्तर बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक नालों को रिचार्ज करने कहा। साथ ही इसके लिए व्यापक कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। तालाब गहरीकरण और बोर के रिचार्ज के लिए कहा कि भूमिगत जल की कमी को दूर करने में नरवा योजना महत्वपूर्ण है। बरसात के पहले कच्ची मिट्टी, बोल्डर चेकडैम और नालाबंधान के कार्यों में तेजी लाने अधिकारियों को निर्देश दिए।

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत वन क्षेत्र है, लेकिन कई स्थानों पर बिगड़े वन हैं। वहां वृक्षारोपण करना चाहिए। इसके साथ ही साथ आबादी और शहरी क्षेत्रों तथा औद्योगिक क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन के लिए बड़े पैमाने पर वृक्ष लगाने की आवश्यकता है, जिससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी।