टीआरपी डेस्क। देश में कोरोना की तीसरी लहर के शुरू होने की आशंका जताई जा रही है। इसी बीच देश के टॉप वैज्ञानिक डा. विपिन श्रीवास्तव ने दावा किया कि शायद 4 जुलाई को ही तीसरी लहर आ चुकी है। साथ ही उन्होंने लोगों से कोरोना से बचाव के नियमों का उचित तरीके से पालन करने को भी कहा है। बता दें, डा. विपिन हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर और भौतिक विज्ञानी हैं। जो पिछले 15 महीनों से संक्रमण के आंकड़ों और डेथ रेट (मृत्यु दर) का विश्लेषण करते रहे हैं।

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डॉ. श्रीवास्तव के आकलन के अनुसार, 4 जुलाई से कोरोना संक्रमण के मामले और मौत के आंकड़े देश में तीसरी लहर के आने का संकेत दे रहे हैं। कुछ इसी तरह के आंकड़े इस साल फरवरी के पहले हफ्ते से देखने को मिले थे। तब कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी थी। फरवरी के पहले हफ्ते के अंत में DDL में इसी तरह का उतार-चढ़ाव देखने को मिला था, जबकि उस समय प्रतिदिन 100 मौतें ही हो रही थीं। सभी ने यह मान लिया था कि कोरोना महामारी खत्म हो गई, लेकिन उसके बाद क्या हुआ, वह सबके सामने है।
उन्होंने कहा कि कुछ इसी तरह की प्रवृत्ति 4 जुलाई से देखने को मिल रहा है। हमें इसके लिए प्रार्थना करनी चाहिए कि DDL नकारात्मक बनी रहे। उन्होंने आगे कहा कि जब कभी भी प्रतिदिन होने वाली मौतों की प्रवृत्ति में बदलाव होता है यानी एक दिन मौतें कम होती हैं और उसके अगले दिन ज्यादा या एक दिन ज्यादा तो उसके अगले दिन कम, तो डेली डेथ लोड (डीडीएल) में बेतहाशा उतार-चढ़ाव होता है। डेली डेथ लोड से मतलब महामारी से रोजाना होने वाली मौतों से है।
प्रोटोकॉल का हर हाल में पालन करना जरूरी- डॉ. श्रीवास्तव
वहीं डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि सबसे अहम बात यह है कि हम विनाशकारी दूसरी लहर झेल चुके हैं। इसलिए आम लोगों के साथ ही प्रशासन को भी बेहद सावधान रहने की जरूरत है। कोरोना की किसी लहर की शुरुआत के संदेह मात्र को भी बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए। कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखा तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर को काबू में रखने के लिए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन, मास्क पहनना और वैक्सीनेशन जैसे प्रोटोकॉल का हर हाल में पालन करना होगा। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि हमें अब यही उम्मीद और दुआ करनी चाहिए कि डीडीएल निगेटिव बना रहे।
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