Corona Delta Variants

टीआरपी डेस्क। कोरोना की दूसरी लहर में अगर घर का कोई सदस्य कोरोना संक्रमित हुआ, तो परिवार के ज्यादातर सदस्य भी संक्रमण की चपेट में आने से खुद को बचा नहीं पाए। इसके पीछे की वजह कोरोना डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) को बताया गया है। यह वैरिएंट अक्टूबर 2020 में सबसे पहले भारत में ही पाया गया था।

ब्रिटेन सरकार के हेल्थ संगठन पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) ने इस पर एक स्टडी की है। स्टडी के मुताबिक, हाउसहोल्ड सेटिंग्स यानी घर में एक साथ रह रहे लोगों में B.1.1.7 की तुलना में B.1.617.2 वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है। स्टडी से पता चलता है कि सबसे पहले ब्रिटेन पाए गए अल्फा वैरिएंट की तुलना में डेल्टा वैरिएंट एक घर में 64% ज्यादा तेजी से फैलता है।

डेल्टा वैरिएंट ज्यादा खतरनाक

शुक्रवार को जारी स्टडी में कहा गया, ‘कुल मिलाकर हमने घर में साथ रहने वाले परिवारों के बीच B.1.1.7 की तुलना में B.1.617.2 को ज्यादा संक्रामक पाया। इस स्टडी के जरिए डेल्टा वैरिएंट के ज्यादा संक्रामक होने के सबूत मिले हैं।’

भारत में दूसरी लहर के पीछे डेल्टा वैरिएंट

रिसर्चर्स की मानें तो डेल्टा वैरिएंट की वजह से ही भारत में कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक हुई। दक्षिण भारत के कई राज्य इस वक्त इस लहर का सामना कर रहे हैं।

स्टडी के मुताबिक, हाउसहोल्ड सेटिंग में अल्फा वैरिएंट (B.1.17) की तुलना में डेल्टा वैरिएंट ज्यादा तेजी फैसला है। अल्फा वैरिएंट सबसे पहले ब्रिटेन में पाया गया था। हालांकि, दोनों ही वैरिएंट को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया था।

भारत में डेल्टा वैरिएंट से 1.80 लाख मौतें

भारत में दूसरी लहर 11 फरवरी से शुरू हुई थी और अप्रैल में भयावह हो गई थी। इसने ही भारत में 1.80 लाख से ज्यादा लोगों की जान ली है। इस वैरिएंट पर एंटीबॉडी या वैक्सीन कारगर है या नहीं, यह पक्के तौर पर नहीं पता।

ज्यादातर देशों में 80-90% केस डेल्टा वैरिएंट से

हैदराबाद के सेंटर फॉर सेलुलर एंड माइक्रो बायोलॉजी (CCMB) के एडवाइजर डॉ. राकेश मिश्रा का कहना है कि ऐसा लगता है कि ज्यादातर देशों में 80-90% मामले डेल्टा वैरिएंट के कारण आ रहे हैं। दो महीने में दूसरे नए वैरिएंट आने के साथ ही यह बदल जाएगा।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर