सफलताः हाथियों के लिए सूरजपुर, धरमजयगढ़, बालोद वनमंडल में रखे गए धान... सूरजपुर वनमंडल में 3 जगहों पर हाथी ने खाया धान

रायपुर। हाथियों के लिए धान खरीदी को लेकर प्रदेश के विपक्ष भाजपा के आरोप पर वन मंत्री मो. अकबर ने यह स्पष्ट किया है कि हाथियों के लिए धान की कोई खरीदी नहीं की जा रही है। धान खरीदी वास्तव में खाद्य विभाग से वन विभाग के बीच ट्रांसफर का मामला है। हाथियों के लिए खाद्य विभाग से सड़ा हुआ धान लिए जाने के भाजपा के आरोप को उन्होंने खारिज कर दिया।

इन स्थानों पर रखे गए धान, 3 जगहों पर हाथी ने खाया धान

हाथियों के लिए सूरजपुर, धरमजयगढ़, बालोद वनमंडल में अलग-अलग स्थानों पर खुले में धान रखा गया था। इसमें से सूरजपुर वनमंडल में 3 जगहों पर हाथी ने धान खाया है। इस तरह यह शुरुआती सफलता है।

16 दल में 307 हाथी हैं शामिल

इस समय 16 हाथियों का दल जिसमें कुल 307 हाथी शामिल है, राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रमुख रूप से रेहन, तमोर पिंगला, बादलखोल अभ्यारण, प्रतापपुर, रघुनाथपुर, तपकरा, कुनकुरी, मनोरा, दुलदुला, छाल, धरमजयगढ़, कापू, लैलूंगा, बोरा, बाकारूमा कुदमुरा, करतला, पसांद, कटघोरा, रायगढ़ घरघोड़ा, तमनार, बलोद, मैनपुर, कोठारी में विचरण कर रहें हैं।

वन मंत्री ने कहा कि हाथी बहुत ही बुद्धिमान जानवर होते हैं, उनकी याददाश्त के साथ-साथ सूंघने की शक्ति काफी तेज होती है। हाथियों ने अगर एक बार धान को खाना शुरू कर दिया तो खाने की लालच में आम लोगों के मकान और खेतों में लगी फसल को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। अगर इन हाथियों को धान खाने की आदत पड़ गई तो सरकार इतनी सक्षम है कि आने वाले सालों में भी धान की व्यवस्था कर सकती है।

प्रभावितों को समय पर किया जा रहा है भुगतान

मंत्री ने बताया कि अब तक 9 हाथियों की रेडियो कालरिंग की गई है। हाथी मानव द्वंद रोकने के लिए हाथियों के आगमन की पूर्व सूचना गांवों में वायरलेंस, मोबाइल एवं माइक से मुनादी कर प्रसारित करना एवं ग्रामीणों को हाथियों के साथ साहचर्य बनाने की समझाइश दिया जा रहा है। प्रभावित ग्रामीणों को समय-समय पर मुआवजा भुगतान किया गया है।

वन मंत्री ने बताया कि बहुद्देश्यीय गजराज वाहन के उपयोग से प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचाया जा रहा है। आवश्यकतानुसार गांव में हाथी मित्र आदि का गठन किया गया है। आकाशवाणी कार्यक्रम हमर हाथी हमर गोठ के माध्यम से प्रतिदिन सायं 5.30 बजे हाथियों के संभावित विचरण का प्रसारण होता है। इसके अलावा हाथियों के आगमन की जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त करने इंटरनेट का उपयोग भी किया जा रहा है।

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