Senior IAS shortage in the state - अब डेपुटेशन नामंज़ूर, आवेदन सीएम सचिवालय से लौटने लगे
Senior IAS shortage in the state - अब डेपुटेशन नामंज़ूर, आवेदन सीएम सचिवालय से लौटने लगे

रायपुर। छत्तीसगढ़ में संचालित औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थाओं ITI में 8 साल पहले विभिन्न पदों पर हुई नियमित भर्ती में गड़बड़ी उजागर होने के बाद अब पूरे 723 लोगों की बर्खास्तगी की तैयारी चल रही है। इसी के तहत सभी कर्मियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया, अब कार्रवाई से पहले विधिवेत्ता से क़ानूनी सलाह ली जा रही है।
प्रदेश में पूर्व की भाजपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2010 में 723 प्रशिक्षण अधिकारियों, डाटा एंट्री ऑपरेटर सहित सहायक ग्रेड 3 की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा और अन्य प्रक्रिया पूरी करके 2013 में इन्हें नियुक्ति दी गई। इसके साथ ही 2 साल की परिवीक्षा अवधि पूर्ण करने के बाद सभी 723 लोगों को नियमित भी कर दिया गया।
अब नौकरी के 8 वर्ष बाद इन सभी को नियुक्ति में नियम का पालन नहीं होने का हवाला देकर नौकरी से हटाने की तैयारी की जा रही है। इसी के तहत सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।


आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं

बीते 8 सालों से नौकरी कर रहे इन कर्मचारियों को जो शो कॉज नोटिस जारी किया गया है उसमे उल्लेख है कि उनकी भर्ती के दौरान “छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजातियां और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 1994 की धारा – 14 के प्रावधानो का पालन नहीं किया गया है। इस नियम में यह उल्लेखित है कि अगर आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया तो समस्त नियुक्तियां शून्य होंगी। सभी को जवाब के लिए 15 दिनों का समय दिया गया था। अब यह अवधि निकल जाने के बाद सभी की सांसे अटकी हुई हैं।

जाँच में कई गड़बड़ियां हुई उजागर

आरोप है कि राज्य के समस्तआईटीआई के लिए हुई इस भर्ती प्रक्रिया के लिए नियमों को ताक पर रख दिया गया। मामले की लोक आयोग में शिकायत के बाद जाँच की गई, तब पता चला कि चहेते आवेदकों के नंबर बढ़ा दिए गए। ऐसा करने के लिए आवेदकों की मार्कशीट के पूर्णांक घटा दिए गए और उनके प्राप्तांक का प्रतिशत बढ़ा दिया गया। इसके अलावा ड्राइविंग और जाति का फर्जी प्रमाण पत्र लगा दिया गया। वहीं बिना मान्यता वाले आईटीआई के प्रशिक्षण प्रमाण पत्र भी अनेक लोगों ने जमा किये।

पदोन्नति का केस भी जीता


तमाम शिकायतों के बाद हुई जांच में गड़बड़ी उजागर होने के बाद भी पिछली सरकार ने इस मामले में कार्रवाई लंबित रखी। इस बीच सभी कर्मचारी पदोन्नति के लिए न्यायलय की शरण में चले गए। सुनवाई के बाद जब फैसला इन कर्मियों के पक्ष में आया तब इन्होने विभाग को न्यायालय का आदेश भेज कर पदोन्नति मांगी। इसके बाद विभाग प्रमुख की ओर से इन सभी को भर्ती प्रक्रिया शून्य करने संबंधी शो कॉज नोटिस जारी किया गया।

समीक्षा के बाद की जाएगी कार्रवाई

इस संबंध में प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा डॉ अलोक शुक्ला ने बताया कि शो कॉज नोटिस के जवाब और क़ानूनी प्रावधानों की समीक्षा के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में विभागीय मंत्री ने महाधिवक्ता की राय लेने के बाद ही कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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