टीआरपी डेस्क। एक फरवरी 2003 का वह दिन जब पूरे देश की नजर नासा के शटलयान की अंतरिक्ष से धरती पर वापसी पर टिकी हुई थी, इसी यान में भारत की अंतरिक्ष परी कल्पना चावला यानि मोंटू भी सवार थी।

काउंटडाउन चल रहा था। स्कूल में लाइव प्रसारण के जरिए सैकड़ों की तादाद में बच्चे और शिक्षक अपनी कल्पना को साकार होता देखना चाह रहे थे। तभी कुछ ऐसा हुआ कि हर किसी के आंखों में आंसू थे।

कुछ तो खुद को संभाल नहीं पाए तो वहीं बैठ गए। इस दर्द भरे हादसे ने करनाल की कल्पना को छीन लिया। आज ही के दिन अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का शटलयान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।

जब अचानक से प्रसारण बीच में रुक गया

सुबह ही कल्पना चावला के बचपन के स्कूल टैगोर बाल निकेतन में चहलकदमी आम दिनों की तुलना में ज्यादा थी। दोपहर होने तक यह स्कूल खास बन चुका था। देश की मीडिया की नजरें एक तरफ कोलंबिया शटल यान की ओर थी तो दूसरी तरफ कल्पना चावला के स्कूल पर।

इसी स्कूल में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद कल्पना ने अंतरिक्ष यात्री बनने और विश्व पटल पर करनाल का नाम रोशन करने का सफर पूरा किया था। स्कूल के अंदर शिक्षक व विद्यार्थियों के साथ शहर के मौजिज लोग थे। सभी की निगाहें टीवी सेट पर थी, लेकिन अचानक से प्रसारण बीच में रुक गया।

कुछ ही देर में मिली अनहोनी की सूचना

प्रसारण रुकने की वजह से सभी परेशान थे। हर कोई जानना चाहता था कि शटलयान आ गया, कल्पना का स्वागत कैसे हुआ। मीडिया से खबरें आईं कोलंबिया शटल यान के धरती की ओर आने की सूचना बंद हो गई। कुछ ही देर में यह पता चला कि शटल यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। यह सुनते ही लोगों की आंखें नम हो गई।

घर में प्यार से कहते थे मोंटू

करनाल में बनारसी लाल चावला और मां संजयोती के घर जन्मी कल्पना चावला परिवार में सबकी दुलारी थी। वह अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। घर में उन्हें प्यार से मोंटू कहकर पुकारा जाता था।

उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा टैगोर बाल निकेतन स्कूल से पूरी की। 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुई और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया। खास बात यह थी कि अंतरिक्ष में उडऩे वाली वह पहली भारतीय महिला थी।

 

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