रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भूपेश सरकार द्वारा विधानसभा का सबसे छोटा सत्र बुलाए जाने पर आपत्ति जताई है। कौशिक ने कहा कि भूपेश सरकार मूल रूप से तानाशाही की भावना के साथ काम करने वाली सरकार है। इतने बड़े जनादेश के बावजूद शासन द्वारा सदन का सामना करने के प्रति अनिच्छुक दिखना यह जाहिर करता है कि वह विपक्ष से बुरी तरह डरी हुई है।

कई मुद्दे हैं जिनपर बहस जरूरी

कौशिक ने कहा कि मानसून सत्र में चर्चा के लायक दर्जनों बड़े मुद्दे हैं। जिनपर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। विधानसभा चुनाव में चुनावी लाभ के लिए बड़े-बड़े वादे करना और अब लगभग उन सभी वादों से मुकर जाने की स्थिति, नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी, किसानों की कर्ज माफी, आदिवासियों का बढ़ता असंतोष, गंभीर होती नक्सल समस्या, वेतन विसंगति, प्रदेश की बेकाबू होती, आर्थिक स्थिति, शराबबंदी का शिगूफा और इस पर रोज उजागर होते घोटाले समेत अनेक विषय ऐसे हैं, जो छत्तीसगढ़ के भविष्य से जुड़े हुए हैं।

मानसून सत्र महज रस्म अदायगी

श्री कौशिक ने कहा कि लाखों युवाओं को रोजगार का वादा करके सत्ता में आयी कांग्रेस ने अभी तक इन सबसे संबंधित कोई विजन प्रस्तुत नहीं किया है, प्रदेश शासन तमाम रचनात्मक विषयों को छोड़ कर केवल प्रतिशोध की राजनीति, बदलापुर और गुटीय राजनीति में उलझी है। निश्चय ही इन तमाम मुद्दों पर शासन को जवाब देना भारी पड़ जाता, इसलिए मानसून सत्र के नाम पर महज रस्म अदायगी कर निकल जाने की फिराक में है सरकार। यह घोर आपत्तिजनक है।

शासन को विपक्ष का करना होगा सामना

श्री कौशिक ने मानसून सत्र को पर्याप्त लंबा करने की मांग की है, उन्होंने कहा कि सदन में भले भाजपा के पास कम संख्या बल है लेकिन, पार्टी ने यह साबित किया है कि वह लोकहित से जुड़े मुद्दे पर पार्टी पर्याप्त प्रखर और मुखर है।शासन को विपक्ष का समाना करना ही होगा, भाजपा छत्तीसगढ़ और उसके भविष्य से जुड़े ही मुद्दे पर सदन से लेकर सड़क तक की लड़ाई पहले की भांति ही, लड़ती रहेगी।